कटिहार में एक भी पार्क सुंदर नहीं, कैसे हो टाइमपास

नगर निगम बने छह साल बीतने को है. कई चीजें तो बदली, लेकिन एक बेहतरीन पार्क रहने का मलाल आज भी शहरवासियों को है. कटिहार : इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल सुकून से बिताने के लिए लोग पार्कों में जाते हैं, लेकिन कटिहार शहर की बात करें तो शहर में एक भी पार्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2017 6:27 AM

नगर निगम बने छह साल बीतने को है. कई चीजें तो बदली, लेकिन एक बेहतरीन पार्क रहने का मलाल आज भी शहरवासियों को है.

कटिहार : इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल सुकून से बिताने के लिए लोग पार्कों में जाते हैं, लेकिन कटिहार शहर की बात करें तो शहर में एक भी पार्क नहीं है. जिसमें लोग जाकर कुछ पल अपने दोस्त व परिवार के साथ सुकून से बिता सकें. जो भी पार्क है वह बदहाल है. पार्क की कर्मी के कारण लोग टाइम पास करने के लिये रेस्टोरेंट या होटलों में जाते हैं. लेकिन इन जगहों पर जाने के लिये रुपये की दरकार होती है और हर कोई व्यक्ति इसको वहन नहीं कर सकता है.
पार्क रहने से लोगों को काफी हद तक भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल सुकून से बिताने के लिये मिल जाता है. नगर निगम बने छह साल बितने को है. कई चीजें तो बदली. लेकिन शहर में एक बेहतरीन पार्क रहने का मलाल आज भी शहरवासियों एवं जिले वासियों को है.
मेजर आशुतोष पार्क की हालत बदहाल
शहर के हरदयाल टॉकिज के मेजर आशुतोष पार्क को मनोरंजन के लिहाज से दो दशक पूर्व बनाया गया था. लेकिन उचित रख-रखाव के अभाव में यह पार्क बदहाल हो गया है. इस पार्क में मनोरंजन के लिये कई संसाधन लगाये गये थे. सभी टूट फूट कर जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गये है या यूं कहें कि लगाये गये संसाधन हैं ही नहीं. शुरू में जब यह पार्क चालू हुआ था तब शहर भर के लोग काफी आनंदित होकर घुमने तथा समय बिताने के लिये पहुंचते थे. पार्क कुछ दिनों तक ठीक ठाक ढंग से संचालित हुआ. लेकिन उचित रख रख-खाव के अभाव में एक बार जो जर्जर हुआ तो सिलसिला थमा नहीं और पार्क बदहाल होता चला गया.
अब इस पार्क का नाम सिर्फ लोगों की जुबान पर नाम कहने लायक रह गया है.
रेलवे पार्क है बदहाल
रेलवे क्षेत्र के न्यू कॉलोनी में अवस्थित रेलवे पार्क भी देखरेख के अभाव में अपनी बहाली पर आंसु बहा रहा है. हालांकि यह रेलवे की संपत्ति है. इसकी देखभाल रेल प्रशासन के ही जिम्मे है. इस पार्क में रेलवे कर्मचारियों के परिवार के साथ-साथ आमलोग भी मनोरंजन करने के लिये पहुंचते थे. लेकिन उचित रख रखाव के अभाव में यह पार्क जर्जर होते चला गया. आलम यह है कि बैठने के लिये सीट टूट फूट गया है.
चहारदीवारी जगह-जगह से टूट गया है. वहीं खेलने के लिये बनाये गये संसाधन भी कमोबेश जर्जरता की स्थिति में पहुंच गया है. रेलवे क्षेत्र के ही ओटी पाड़ा में स्थित पार्क भी बदहाल है. इस पार्क में लगाये गये सभी संसाधन जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है. लोग अब इस पार्क में जाने से भी कतराते हैं.
कारगिल पार्क में बिताते हैं समय : समाहरणालय के मुख्य द्वार के समीप अवस्थित कारगिल पार्क ही एक ऐसा पार्क है जिसमें जिलेभर से आये हुये लोग समाहरणालय के साथ-साथ कोर्ट कचहरी करने आते हैं. उनके लिये अच्छा जगह बन गया है.
लोग प्रशासनिक काम के लिये जब कटिहार आते हैं तो यही पार्क उनके टाइम पास का जरिया रहता है. इसी पार्क में रहकर लोग अपने लोगों से संपर्क कर भेंट मुलाकात कर अपने काम को निबटाते हैं. लेकिन इस पार्क की भी स्थिति जर्जर होती जा रही है. इस पार्क में लगाये गये संसाधन मसलन झूला टूट गया है. टूटे हुए अवस्था में ही झूला पार्क में फेंका हुआ है, लेकिन इसको देखने वाला कोई नहीं है.

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