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अब आदिवासी समाज के लोग भी जुड़ रहे मुख्यधारा से

कटिहार :पूरे देश में आदिवासियों के उत्थान के लिए एक से एक कार्यक्रम भारत सरकार की ओर से व राज्य सरकार के द्वारा चलाया जा रहा है. उत्थान और समाज के मुख्य धारा से जुड़ कर देश की तरक्की में सक्रिय भागीदारी निभायें. अब भी बिहार के कई जिले ऐसे हैं जहां आदिवासी समाज के […]

कटिहार :पूरे देश में आदिवासियों के उत्थान के लिए एक से एक कार्यक्रम भारत सरकार की ओर से व राज्य सरकार के द्वारा चलाया जा रहा है. उत्थान और समाज के मुख्य धारा से जुड़ कर देश की तरक्की में सक्रिय भागीदारी निभायें. अब भी बिहार के कई जिले ऐसे हैं जहां आदिवासी समाज के लोग मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाये हैं. वहीं कटिहार जिले में आदिवासी समाज से आनेवाले रायसेन सोरेन ने इन सब से परे हट कर अपना एक अलग मुकाम बनाया है.
कटिहार प्रखंड की सिरनियां पूर्व पंचायत के सिरनियां गांव निवासी श्री सोरेन संताली गायक बन कर जहां एक ओर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं, वहीं आदिवासी समाज में एक नजीर भी पेश कर रहे हैं. इनके लिखे व गाये गीत जिले ही नहीं प्रदेश समेत झारखंड, पश्चिम बंगाल इत्यादि इलाकों में भी आदिवासी समुदाय के लोग सुन रहे हैं. वहीं इनके गाये जाने से लोग प्रेरित होकर इनके टीम में भी जुड़ते जा रहे हैं और आदिवासी समाज को बुलंदियों तक ले जाने में भूमिका निभा रहे हैं.
कितने लोग हैं टीम में शामिल : संताली गायक रायसेन सोरेन की गायकी टीम मंगली बास्की, तालामय सोरेन, अंजलि हंसदा, अनिता हंसदा, रानी हेम्ब्रम, लीलावती, फुलकुमारी हंसदा, लीलामुनि मुर्मू, सभ्य बासकी, अपन मरांडी, संझली हांसदा, प्रमीला हंसदा, लखी सोरेन, पार्वती सोरेन, फुलमणि विसरा, सुनिता टुडू, अनिल सोरेन, बड़की सोरेन, बबलू हांसदा, राजेश मुर्मू, भयो मरांडी, मनोज हांसदा, सुनिल हंसदा, सोना मरांडी, मरांग हांसदा, श्याम लाल हेम्ब्रम, तल्लु बासकी, दरोगा मरांडी, तल्लु मरांडी, संजू सोरेन इत्यादि शामिल हैं.
संताली गायक रायसेन सोरेन के पिता बाबू लाल सोरेन ने बताया कि करीब दस वर्ष की उम्र में इनको कुछ लोगों ने बहला फुसलाकर पंजाब में बेच दिया था. इसके बाद काफी किस्मत का धक्का खाने के बाद अपने घर पुन: वापस पहुंचे. पंजाब में बेचे जाने के दौरान दुख झेलते हुए उन्होंने गीत लिखना व गाना शुरू किया. लेकिन उचित मार्गदर्शन और पैसे की तंगी के कारण इनको प्लेटफॉर्म नहीं मिल सका. गांव वापस आने के बाद इन्होंने अपना पहला संताली गाना गाया. जो काफी लोकप्रिय हुआ. उसके बाद धीरे-धीरे जब लोकप्रियता बढ़ने लगी तब और गाना गाने के अवसर मिलने लगे. आज के दौर में इनकी एक लंबी चौड़ी टीम तैयार हो गयी है. रायसेन सोरेन ने बताया कि संताली गायक वर्ष 2014 से गाना गा रहे हैं और आदिवासी बहुल इलाका में गाना काफी लोकप्रिय हो रहा है और लोगों फीडबैक अच्छा मिल रहा है. अब तक इन्होंने तीस से ज्यादा गाना संताली गाना लिख कर गाया है.

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