प्रादेशिक सेना में पहली महिला ऑफिसर बनी हैं शिल्पी
कटिहार की बेटी शिल्पी गर्ग ने देश की प्रादेशिक सेना में पहली महिला ऑफिसर बनने का गौरव हासिल किया है. शहर के ऑफिसर्स कॉलोनी निवासी शत्रुघन नाथ तिवारी एवं रेणू तिवारी की पुत्री शिल्पी की प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय नवोदय विद्यालय में हुई. शिल्पी ओएनजीसी गुजरात में कार्यरत हैं. ओएनजीसी में कार्यरत रहते हुए उनका चयन […]
कटिहार की बेटी शिल्पी गर्ग ने देश की प्रादेशिक सेना में पहली महिला ऑफिसर बनने का गौरव हासिल किया है. शहर के ऑफिसर्स कॉलोनी निवासी शत्रुघन नाथ तिवारी एवं रेणू तिवारी की पुत्री शिल्पी की प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय नवोदय विद्यालय में हुई. शिल्पी ओएनजीसी गुजरात में कार्यरत हैं. ओएनजीसी में कार्यरत रहते हुए उनका चयन प्रादेशिक सेना के पहली महिला ऑफिसर के रूप में हुआ. हाल में शिल्पी को भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित भी किया गया. साथ ही देहरादून में गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें परेड का नेतृत्व करने का अवसर भी मिला. शिल्पी के भारतीय प्रादेशिक सेना में पहली महिला आॅफिसर के रूप में जब चयन हुआ, तो पूरा कटिहार सहित बिहार का गौरव बढ़ गया.
कटिहार : जिले में बुधवार को होने वाले अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की तैयारी जोरशोर से चल रही है. अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की दशा एवं दिशा तथा उनके सशक्तिकरण पर विमर्श एवं बहस की भी तैयारी की गयी है. विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के द्वारा अलग-अलग तरह के आयोजन की जा रही है. इस बीच महिलाएं निश्चित रूप से रूढ़ीवादी परंपरा से आगे निकली हैं. सरकार की योजनाओं एवं विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की स्वतंत्रता व उनके अधिकारों को लेकर चलाये गये अभियानों का ही नतीजा है कि कटिहार जिला की आधी अबादी अब घुंघट से बाहर होकर पुरुषों से लोहा ले रही हैं.
राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक आदि विभिन्न क्षेत्रों में कटिहार की महिलाएं व लड़कियां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कटिहार की महिलाएं अब परचम लहरा रही हैं. अनारक्षित सीट पर महिलाएं पुरुषों को टक्कर देकर जहां कब्जा कर रही है. वहीं अपनी मेधा के बल पर सेना व अन्य क्षेत्र में कटिहार का गौरव महिलाएं बढ़ा रही है.
महिला अधिकारों की आवाज हैं शोभा
समाजिक कार्यकर्ता शोभा जायसवाल ने कम समय में विभिन्न संगठनों से जुड़कर समाज की महिलाओं के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किया है. खासकर किशोरी के लिए वह टीन क्लब के माध्यम से उन्हें मार्ग दर्शन देने का काम किया है. वर्तमान में जिला उपभोक्ता फोरम के महिला सदस्य के रूप में कार्यरत शोभा अपने उपभोक्ता फोरम के दायित्वों के अलावा समाजिक कार्यो में भी दिलचस्पी लेती है. किशोरियों एवं महिलाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान महिला संगठन के साथ जुड़कर करती है.
अनारक्षित सीट पर पूनम ने जमाया कब्जा
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आधी अबादी को मिला आधा हक से महिलाओं के सशक्तिकरण काे मानों रफ्तार ही मिल गयी. यूं तो आरक्षित सीट में आधी महिलाएं चुनाव जीत कर विभिन्न पदों के माध्यम से पंचायत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. डंडखोरा प्रखंड के द्वासय पंचायत समिति सदस्य पूनम देवी ने प्रखंड प्रमुख के अनारक्षित सीट पर कब्जा जमाकर यह साबित कर दिया कि इच्छा शक्ति अगर हो तो कामयाबी जरूर मिलती है. प्रमुख पद पर रहते हुए पूनम अपने पंचायत के विधायी कार्यों के अलावा महिलाओं को संगठित कर सरकार को उनके योजनाओं के प्रति उन्हें जागरूक भी कर रही हैं.
रोजगार के प्रति महिलाओं को जागरूक कर रही है शैलजा
शहर के कालीबाड़ी निवासी शैलजा मिश्रा गांव की महिलाओं को रोजगार की मुख्य धार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है. इसलिए एक दशक से सामाजिक कार्यों से जुड़ी शैलजा समाज के हाशिये में खड़ी आबादी को मुख्य धारा में लाने का काम कर रही है. जिले के सेमापुर के आसपास ऐसी महिलाओं को उनके पारंपरिक कामों में जोड़कर आत्मनिर्भर बना रही हैं, जिनके पति दूसरे बड़े शहर में काम करने गये है. इसके साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए रूढीवादी परंपरा के जकड़न से बाहर निकाल रही हैं.
राजनीतिक क्षेत्र में पूनम ने हासिल किया है मुकाम
तमाम झंझावतों एवं सियासी प्रतिद्वंद्विता के बीच पूनम पासवान ने राजनीतिक क्षेत्र में मुकाम हासिल करने में कामयाब रही है. जिले के मनिहारी निवासी पूनम पासवान को विधानसभा चुनाव 2015 में कोढ़ा से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया. पहली बार चुनाव मैदान में उतरी पूनमयह बाजी मारने में कामयाब रही तथा विधान सभा पहुंच गयी. अपनी इच्छाशक्ति एवं राजनीतिक दक्षता की वजह से कांग्रेस ने उन्हें अपने संगठन में भी दायित्व दिया है. विधायक के रूप में जहां पूनम कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र के समस्याओं के समाधान को लेकर प्रयत्नशील हैं. वहीं कांग्रेस प्रदेश महासचिव के रूप में वह संगठन के लिए भी कार्य कर रही है. उल्लेखनीय है कि पूनम अपनी छात्र जीवन से ही राजनीतिक की शुरुआत की.
गुड्डी ने दी पुरुषों को टक्कर
कोढ़ा से पहली बार जिला परिषद की सदस्य बनने के बाद गुड्डी कुमारी ने जिला परिषद अध्यक्ष पद का जब चुनाव लड़ा तो किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि उसकी ताजपोशी इस पद पर होगी. एक ओर उनके सामने राज्य में सत्तारूढ़ महागंठबधंन समर्थित उम्मीदवार जिप अध्यक्ष के दावेदार थे, लेकिन गुड्डी व उसके रणनीतिकारों ने ऐसा पाशा फेंका कि राजनीतिक जानकार भी भौचक रह गये. आज गुड्डी जिप अध्यक्ष के रूप में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करती हैं. जिप का बागडोर संभालने के बाद गुड्डी चर्चा में आ गयी हैं.