आर्थिक तंगी से जीवन का संग्राम हार चुका दंपती जिगर के टुकड़ों को बेचने पहुंचा बाजार
कटिहार :मजबूरीकी दहलीज पर और पेट की आग के आगे इंसानियत और मानवता की भावना थोड़ी देर के लिए ठहर सी जाती है. बिहार के कटिहार जिले में शुक्रवार को शहर के संग्राम चौक के समीप एक दंपती अपने 4 माह के बेटे को कुछ लोगों केपास बेचने की बात कर रहे थे. दंपती ने […]
कटिहार :मजबूरीकी दहलीज पर और पेट की आग के आगे इंसानियत और मानवता की भावना थोड़ी देर के लिए ठहर सी जाती है. बिहार के कटिहार जिले में शुक्रवार को शहर के संग्राम चौक के समीप एक दंपती अपने 4 माह के बेटे को कुछ लोगों केपास बेचने की बात कर रहे थे. दंपती ने लोगों से कहा कि हमारे हालात सही नहीं है. हम अपने बच्चे का भरण पोषण नहीं कर सकते हैं. इसलिए एक बच्चे को बेच कर बाकी तीन बच्चों का देखभाल करेंगे. यह दंपती कटिहार जिला के डंडखोरा प्रखंड के भट्टा बाड़ी इलाके के रहने वाले हैं. सुरेश मलिक उम्र 40 साल, गुंजा देवी जिनकी 4 संतान हैं. बड़ी संतान संतोष कुमार, उम्र 4 साल, बेटी आरती कुमारी, 3 साल, दो जुड़वा बच्चे राम और लक्ष्मण 4 महीने के हैं. इनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है.
आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
स्थानीय लोगों की मानें तो यह लोग सूप बनाकर अपना जीवन यापन करते थे. लेकिन इस काम से उनको इतना पैसा नहीं मिलता था. जिससे वह अपना और अपने बच्चों का भरण पोषण कर सके. इसी क्रम में आज यह दंपत्ति अपने एक बच्चे को बेचने के लिए निकल पड़े. जहां पर यह बच्चे बेचने की बात कर रहे थे. वहीं के स्थानीय निवासियों ने इस बात का पता प्रभात खबर को दिया. प्रभात खबर के पहल पर बच्चे को बेचने से बजाया गया तथा प्रशासन के हवाले किया गया.
पिता ने कहा मजबूरी में बेच रहा था बच्चा
पिता सुरेश मलिक से जब इस बारे में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि हम लोग डंडखोरा के रहने वाले हैं और हमारा काम सूप बनाकर बेचना है. अभी इस काम से इतने पैसे नहीं होते थे कि जिससे हम अपने बच्चे का सही ढंग से भरण पोषण कर सकें. यहां तक कि मेरे चारों बच्चे काफी बीमार हैं. मेरी बेटी आरती कुमारी का हाथ पूरी तरह जल चुका है. पैसे नहीं होने के हालात में हम अपनी बेटी का इलाज भी नहीं करवा सकते हैं. इसलिए आज अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने बेटे को बेचना चाह रहे थे. बेचने के बाद जो भी पैसे आते. उनसे अपने तीनों बच्चे का देखभाल करते.
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