शहरी क्षेत्र में लोगों के सूख रहे हलक

विभाग मौन. सरकारी चापाकल महीनों से है खराब सरकारी कार्यालय में काम से आने वाले लोगों को प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. शहर के अधिकांश चापाकल महीनों से खराब पड़ा हुआ है. लेकिन इस ओर िवभागीय अिधकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. कटिहार : गरमी व तपिश के बीच शहर में पेयजल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2017 4:30 AM

विभाग मौन. सरकारी चापाकल महीनों से है खराब

सरकारी कार्यालय में काम से आने वाले लोगों को प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. शहर के अधिकांश चापाकल महीनों से खराब पड़ा हुआ है. लेकिन इस ओर िवभागीय अिधकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
कटिहार : गरमी व तपिश के बीच शहर में पेयजल की संकट उत्पन्न होने लगा है. विभिन्न मार्गों व सार्वजनिक स्थलों के साथ-साथ चौक-चौराहा पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं रहने से जिला मुख्यालय आने वाले लोगों को परेशानी हो रही है. सक्षम लोग बोतलबंद पानी खरीदकर पी लेते है, जबकि गरीब व मजदूर वर्ग के लोगों के लिए पीने का पानी की संकट बरकरार है. ऐसे लोग चाय या नाश्ता कर दुकान में जाकर किसी तरह अपनी प्यास बुझाने को विवश है.
दूसरी तरफ सरकारी स्तर पर विभिन्न पथ व सार्वजनिक स्थलों पर लगाये गये चापाकल खराब पड़ा हुआ है. कई सरकारी दफ्तरों में भी सरकारी चापाकल की स्थिति बदतर है. हालांकि सरकारी कार्यालयों में भी पेयजल का संकट मौजूद है. सरकारी कार्यालय में अपने काम से आने वाले लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. पेयजल संकट होने की वजह से खासकर बाहर से आने वाले लोगों को पीने के पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. उल्लेखनीय है कि इन दिनों गरमी व तपिश जोरों पर है. अबतक कोई गैर सरकारी संगठन भी पेयजल की उपलब्ध कराने के लिए आगे नहीं आया है.
कहीं नहीं है पानी
शहर के मनिहारी मोड़ के समीप इंदिरा गांधी जिला पुस्तकालय में भी सरकारी चापाकल लगाया गया है. उसकी भी स्थिति बदहाल है. शहर के विभिन्न मार्गों में सरकारी चापाकल की स्थिति कमोबेश ऐसी ही है. अधिकांश चापाकल खराब स्थिति में पड़ा हुआ है. जिला मुख्यालय आने वाले लोगों को पीने के पानी के लिए जूझना पड़ता है.
बोतलबंद पानी से प्यास बुझाते हैं लोग
शहरी क्षेत्र के चौक-चौराहा व सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल का गंभीर संकट है. सरकारी स्तर पर लगाये गये चापाकल अधिकांश स्थानों पर खराब पड़ा हुआ है. शहर के विभिन्न मार्गों पर भी पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को परेशानी उठाना पड़ता है. उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय होने की वजह से विभिन्न प्रखंडों से लोग यहां पहुंचते है. साथ ही दूसरे जिले से भी लोग कटिहार आते हैं. पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से ऐसे लोगों को प्यास बुझाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. सक्षम लोग तो पानी खरीद कर पी लेते है. पर गरीब एवं मजदूर वर्ग को अपनी प्यास बुझाने के लिए चाय नाश्ता की दुकान का सहारा लेना पड़ता है.
केस स्टडी- एक: सदर अस्पताल परिसर में सरकारी चापाकल पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य लगाया गया है. यह चापाकल इन दिनों खराब पड़ा हुआ है. चापाकल का उपयोग खराब होने की वजह से मरीज व उनके परिजनों को पेयजल के गंभीर संकट से जूझना पड़ रहा है. सदर अस्पताल के समीप कटिहार उच्च विद्यालय के पास भी सरकारी चापाकल लगा हुआ है. वह भी महीनों से खराब पड़ा हुआ है
केस स्टडी- दो: शहर के न्यू मार्केट रोड गुरुद्वारा के समीप महेश्वरी अकेडमी के सामने सरकारी चापाकल लगा हुआ है. यह चापाकल महीनों से खराब पड़ा हुआ है. इस पर हर दिन सैकड़ों लोग पानी पीने पहुंचते थे. चापाकल खराब होने की वजह से पेयजल के लिए इधर-उधर लोगों को भटकना पड़ता है. शहर के बनिया टोला में भी सरकारी चापाकल खराब पड़ा हुआ है.
खोखला साबित हो रहा दावा
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के पास है. इसके लिये विभिन्न मदों से लोक स्वास्थ्य प्रमंडल चापाकल व जलापूर्ति योजना को लागू करती है. शहरी क्षेत्र में इस विभाग के द्वारा लगाये गये अधिकांश चापाकल खराब पड़ा हुआ है. खराब पड़े हुए चापाकल की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. हालांकि विभाग के अधिकारी यह जरूर कहती है कि सरकारी चापाकल के खराब होने पर उसकी मरम्मत करायी जाती है. अगर कहीं से खराब चापाकल की सूचना मिलती है, तो विभाग के लोग पहुंचकर उसे ठीक करवाते है. शहरी क्षेत्रों के खराब पड़े चापाकल के देखेंगे तो विभागीय अधिकारी के दावा खोखला साबित होता है.

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