कटिहारः जम्मू कश्मीर से बीएड की डिग्री हासिल करने वाले छात्र अब बिहार में गुरुजी नहीं बन सकते. उच्च न्यायालय पटना ने जम्मू कश्मीर से बीएड की डिग्री प्राप्त करने वाले 240 आवेदकों की ओर से दायर 18 विभिन्न याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है. हाइकोर्ट ने इस फैसले में कहा है कि जम्मू कश्मीर राज्य से वर्ष 2008 से प्राप्त बीएड डिग्रीधारी बिहार में उच्च एवं उच्चतर विद्यालयों में शिक्षक के रूप में नियोजित नहीं किये जा सकते.
हाइकोर्ट के होली की छुट्टी के पूर्व आये इस आदेश से शिक्षक के रूप में नौकरी चाहने वाले कई बेरोजगारों की होली के रंग को फीका कर दिया. इसका असर खास कर वैसे नियोजित हो चुके दर्जनों गुरुजी जिसे उक्त आदेश के पश्चात अपनी नौकरी से हाथ गंवानी पड़ेगी. उच्च न्यायालय ने बिहार उच्च/उच्चतर माध्यमिक शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 के तहत संदर्भित नियमों का हवाला देते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम (एनसीटीई एक्ट) लागू नहीं होता है, जो कि नियमावली से स्पष्ट है.
हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग की ओर से जारी 1 मार्च 2013 के पत्र का जिक्र करते हुए कहा है कि सभी संबंधित शिक्षा पदाधिकारी तथा नियोजन इकाई के सदस्य सचिव को इस संदर्भ में पूर्व में ही स्पष्ट किया जा चुका है कि जहां एनसीटीई एक्ट लागू नहीं होता है, वैसे जगहों पर अवस्थित संस्थानों से बीएड की डिग्रीधारी माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक नियोजन की अर्हता पूर्ण नहीं करेंगे. उच्च न्यायालय के हालिया आदेश से पूर्णिया, भागलपुर तथा कोशी प्रमंडल सहित राज्य के वैसे हजारों की संख्या में गुरुजी की चाह रखने वाले छात्र-छात्रओं के आशाओं पर पानी फेर दिया है. वैसे छात्रों पर भी इसका असर होगा, जो जम्मू कश्मीर राज्य से बीएड की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं या वर्तमान में अध्ययनरत हैं. ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय में उक्त रिट याचिका दायर करने वालों में बिहार के पूर्वी भाग के भागलपुर, सहरसा तथा पूर्णिया प्रमंडल के ही ज्यादातर याचिकाकर्ता थे.
जानकारी के मुताबिक पूर्वी बिहार में ही सिर्फ जम्मू कश्मीर से बीएड करने वाले छात्र-छात्रओं की संख्या पांच हजार से ज्यादा है. जिसमें कई शिक्षक पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुके है, बावजूद इसके वे अब गुरूजी नहीं बन सकेंगे. कम फीस तथा आसानी से डिग्री उपलब्ध हो जाने के कारण जम्मू कश्मीर की बीएड की डिग्री इन क्षेत्रों के छात्र-छात्रओं के लिए काफी आकर्षण का केंद्र रहा है. कारण यह भी था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछले वर्ष नियमित रूप से नियुक्त हुए शिक्षकों में कई जम्मू कश्मीर से प्राप्त डिग्रीधारी थे. जो वर्ष 2008 के पूर्व ही डिग्री प्राप्त कर चुके थे, लेकिन वर्तमान शिक्षक नियोजन नियमावली की बारिकियों को देखने के बजाय छात्र-छात्राओं ने नियमित रूप से नियुक्त हुए शिक्षकों को उदाहरण स्वरूप रखकर जम्मू कश्मीर से बीएड की डिग्री लेने का सिलसिला जारी रखा.