न्यायालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में अधिवक्ताओं ने किया विरोध
न्यायालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में अधिवक्ताओं ने किया जबरदस्त विरोध
कटिहार. व्यवहार न्यायालय कटिहार में न्यायिक भ्रष्टाचार के विरोध में अधिवक्ताओं का तीन दिवसीय विरोध बुधवार से प्रारंभ हो गया. अधिवक्ताओं ने इस विरोध में लाल फीता लगाकर न्यायिक कार्य किया. जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विजय कुमार झा के नेतृत्व में चल रहा यह विरोध बुधवार को शत प्रतिशत सफल रहा. अध्यक्ष श्री झा ने कहा कि इसकी जानकारी उच्च न्यायालय को दे दी गई है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि न्यायालय में व्यापक भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर है. उच्च पदाधिकारी से न्यायालय के निम्न कर्मचारी तक भ्रष्टाचार की सीमा को संलिप्त है. न्यायालय प्रशासन का अपने कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ न्यायिक पदाधिकारी को छोड़ कई न्यायिक पदाधिकारी अपने समय पर न्यायालय में नहीं बैठते हैं. जिला एवं सत्र न्यायाधीश का न्यायिक पदाधिकारी एवं कर्मचारियों पर नियंत्रण समाप्त हो चुका है. उन्होंने बताया कि नकलखाना की स्थिति यह है कि पदस्थापित कर्मचारी भ्रष्टाचार में डूब चुके हैं. श्री झा ने कहा कि कुछ उच्च वर्गीय न्यायिक पदाधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और अपनी न्यायिक अधिकार में मिली शक्ति का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अधिवक्ताओं से भी उनका व्यवहार काफी अच्छा नहीं रहता है. श्री झा ने कहा कि यह तीन दिवसीय विरोध अधिवक्ता संघ के आम सभा में लिए गये प्रस्ताव के आलोक में किया गया है. इस तीन दिवसीय विरोध को लेकर एक सशक्त कमेटी बनायी गयी है. जो प्रतिदिन हो रही भ्रष्टाचार की शिकायतों को कार्यकारिणी समिति को देगी. जिस आधार पर उच्च न्यायालय को इसकी सूचना दी जायेगी. उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं की ओर से इस रेड रिबन लगाकर न्यायालय प्रशासन का विरोध करना अंतिम चेतावनी है. इसके पश्चात अधिवक्ता सिर्फ संबंधित न्यायालय का ही विरोध कर उसे न्यायालय में न्यायिक कार्य में भाग नहीं लेंगे. इस मौके पर संघ के सशक्त कमेटी के सदस्य संघ के अध्यक्ष विजय कुमार झा, रमेश प्रसाद जायसवाल, संयुक्त सचिव रुपेश कुमार, वरीय अधिवक्ता बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह, लोक अभियोजक शंभू प्रसाद, अपर लोक अभियोजक राजेंद्र मिश्र, जयशंकर सिंह, पवन कुमार दुबे, अरविंद कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, राजेश कुमार झा आदि उपस्थित थे.
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