कोढ़ा. महज एक सप्ताह पूर्व किसानों को लग रहा था इस बार धान की रोपनी ठीक ढंग से हो पायेगी या नहीं. पर पिछले दिनों से रुक-रुक कर हो रही झमाझम बारिश के कारण किसानों के लिए धान रोपनी के मामले में वरदान साबित हुआ है. हालांकि बारिश की रफ्तार निरंतर नहीं है. पर रुक-रुक कर ही सही जब बरसती है तो झूम कर बरसती है. किसानों के लिए उम्मीदों का एक किरण फूटा और मुरझाए हुए धान के बिचड़ों में इस बारिश से जहां संजीवनी मिला. धान की खेतों में भी कादो करने लायक पानी हो गया. जिस कारण आनन फानन में ट्रैक्टर व हल बैल लेकर खेतों की तैयारी के साथ-साथ धान की रोपनी का कार्य भी युद्ध स्तर पर होने लगा है. बहियारों में किसान व मजदूरों के बीच बिचड़ा उखाड़ने व रोपनी करने को लेकर मानो एक होड़ मचा हुआ है. बहियारों में धान रोपने का कार्य इस प्रकार रफ्तार पकड़ लिया है कि पहले सुबह से ही ट्रैक्टर व हल बैल लेकर किसान कादो करने में भिड़ जाते हैं तो इधर धान का बिचड़ा उखाड़ रहा है तो उधर कहीं धान की रोपनी चल रही है. यह रफ्तार देर शाम तक चलते रहता है.
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