त्याग व बलिदान का पर्व है बकरीद, तैयारी में जुटे लोग
त्याग व बलिदान का पर्व है बकरीद, तैयारी में जुटे लोग
कोढ़ा. बकरीद का त्यौहार 17 जून को मनायी जायेगी, जिसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. बकरीद की नमाज कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न ईदगाह व विभिन्न मस्जिदों में अदा की जायेगी. बकरीद पर्व को लेकर बाजार में काफी चहल पहल बढ़ गयी है. कपड़ों की दुकानों पर काफी भीड़ देखी जा रही है. बाजार की रौनक देखते ही बन रही है. बकरीद पर्व को लेकर बकरों की कीमत में भारी उछाल आ गया है. बावजूद इसके समर्थ वान लोग अपने अपने सामर्थ के अनुसार बकरों की खरीद की. मुस्लिम धर्म ग्रंथ के जानकार कारी शब्बीर अहमद कासमी ने कहा कि हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने एक ख्वाब देखा कि मैं अपने चहेते बेटे इस्माइल अलैहिस सलाम को अल्लाह के नाम पर जिबह कर रहा हूं. आपने यही ख्वाब मुसलसल तीन रोज तक देखा. इसलिए आपने उसे अल्लाह पाक की मर्जी समझते हुए अपने अकलमंद बेटे को बुलाकर पूछा बेटा मैंने आज ख्वाब देखा है कि जैसे मैं तुम्हें अल्लाह के नाम पर कुर्बानी दे रहा हूं. बता तेरी राय क्या है. बेटा पिता के इशारे को फौरन समझ गया और बोला अब्बाजान आपको जिस चीज का हुक्म मिला है. उसे पूरा कीजिए मैं इंशाल्लाह मैं अल्लाह के उस हुक्म पर डगमगाउंगा नहीं. अल्लाह पाक के हुक्म के मुताबिक हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने अजीज व जान से भी प्यारे बेटे हजरत इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बानी देने के लिए घर से निकल पड़े. तभी मानवता के दुश्मन शैतान को इस बात का पता चल गया. हजरत इब्राहिम अपने पुत्र को अल्लाह की राह में कुर्बानी देने जा रहा है. वह फौरन वहां से भागते हुए हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की पत्नी हजरत हाजरा के पास पहुंचे. भड़काने के नियत से कहा कि तुम्हारा बेटा कहां गया है. तो हजरत हाजरा ने बतायाा कि मेरे बेटे और मेरे सोहर जंगल से लकड़ी लाने गए हैं. तो शैताान ने कहा यह तुुुम गफलत में हो हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह के राह में कुर्बानी देने के लिए ले गया है. हजरत हाजरा ने कहा कि कोई पिता अपने बेटे को जीबह करता है. शैतान ने कहा ऐसा ही है वह कहते हैं कि मुझे अल्लाह ने जिबह करने का हुक्म दिया है. यह सुनकर इकलौते बेटे की मां ने जवाब दिया अगर वाकई यही है तो फिर उनको अल्लाह का हुक्म का पालन करना चाहिए. शैतान का साजिश कामयाब न हुआ तो हजरत इब्राहिम को रोकना चाहा. पर वहां भी कामयाब ना हो सका और शैतान की चालों से बचता बचाता मैदान में कुर्बानी की जगह पहुंचकर अल्लाह के हुक्म की तामील शुरू कर दी. दोनों ने राजा व तस्लमी कर पेशानी के बल स्माइल को लिटा दिया और खुदा के नाम पर छुरी उठाई और जिबह का इरादा किया तो आवाज आई यानी अल्लाह की रहमत जोश में आए और छूरी को हुक्म दिया खबरदार इस्माइल का एक बाल भी न कटे और खुदा ने इस्माइल की जगह एक उम्दा दुंबा ( बकरा नस्ल ) कुर्बानी के लिए नाजिल किया. इसी तरीके तमाम मुसलमानों पर फर्ज अदा कर दिया. अल्लाह पाक ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की इस अदा को इतना पसंद किया कि उसे कयामत तक के बाले इंसानियत के लिए एक यादगार बना दिया. हर साल जिल हिज्जा के 10- 11 -12 उर्दू की तारीख यानी इस वर्ष जून माह के 17, 18 व 19 तारीख को कुर्बानी दी जानी है. 17 जून को ही अकीदत के साथ मुस्लिम भाइयों द्वारा ईदगाहों व मस्जिदों में नमाज अदा की जायेगी.
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