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केले की खेती के लिए जाना जाता था कोढ़ा, पनामा विल्ट रोग से लगा ग्रहण

करीब एक दशक पूर्व केला फसल में पनामा विल्ट नामक रोग लगने के कारण किसानों के सारे अरमान चकनाचूर हो गये.

कोढ़ा. कोढ़ा प्रखंड महज एक दशक पूर्व केला अंचल के रूप में चर्चित हुआ करता था. यहां का केला देश के विभिन्न मंडियों में जाया करता था. इतना ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों का ट्रक का यहां जमावड़ा होता था. केले की खेती यहां वृहद पैमाने पर होती थी तो गेड़ाबाड़ी बाजार में ट्रांसपोर्टिंग का कारोबार भी जोर शोर से चलता था. प्रखंड क्षेत्र में करीब एक दशक पूर्व केला फसल में पनामा विल्ट नामक रोग लगने के कारण किसानों के सारे अरमान चकनाचूर हो गये. पनामा विल्ट रोग की कहर से किसान अब केले की खेती से ही तौबा करने लगे हैं. कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र से केले की खेती विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुका है. जब यहां केले की खेती होती थी तो यहां के किसानों को तो अच्छी आमदनी होती थी. साथ ही मजदूर को भी आसानी से काम मिल जाया करता था. केले की फसल में पनामा विल्ट बीमारी दिन-ब-दिन बढ़ती गयी. जिस कारण केले की खेती का रकबा घटा चला गया. वैज्ञानिक स्तर से भी तमाम उपाय विफल हो जाने के कारण वर्ष दर वर्ष का रकबा सिमटता चला गया. इस रोग का असर होने व फसल के पूरी तरह नष्ट हो जाने से कई किसानों की आर्थिक हालत दयनीय होती चली गयी. अब किसान मक्के, गेहूं की खेती की ओर लौटने लगे हैं. हालांकि केले की खेती जैसा मुनाफा मक्के और गेहूं की खेती में नहीं मिलता. बताते चले कि प्रखंड क्षेत्र में 10 वर्ष पूर्व तक व्यापक पैमाने पर यहां केले की खेती होती थी. इससे यहां के किसान खुशहाल थे. किसानों की आर्थिक सेहत भी बदली थी पर पनामा बिल्ट ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया. इसकी रोकथाम के लिए सबौर सहित चेन्नई व थाईलैंड से भी कृषि विशेषज्ञों की टीम पहुंची थी. लेकिन परिणाम शून्य रहा.

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