आरोप-दर-आरोप : नॉन बैंकिंग कंपनी देते हैं ऋण, वसूली को करते हैं प्रताड़ित

कुछ निजी फाइनेंस कंपनी व नॉन बैंकिंग कंपनी कर्मी की प्रताड़ना से तंग आकर जिले में तकरीबन एक दर्जन से अधिक लोगों ने आत्महत्या अब तक की है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 16, 2024 8:32 PM

माइक्रो फाइनेंस कंपनी महिलाओं को करती है टारगेट

घरेलू महिलाओं पर तरह-तरह का दबाव बनाकर करते हैं ऋण की वसूली

कटिहार.कुछ निजी फाइनेंस कंपनी व नॉन बैंकिंग कंपनी कर्मी की प्रताड़ना से तंग आकर जिले में तकरीबन एक दर्जन से अधिक लोगों ने आत्महत्या अब तक की है. मुफस्सिल थाना क्षेत्र के उदामा रहिखा में एक बैंक कर्मी ने महिला को यह तक कह दिया था कि रुपये नहीं दे सकती हो तो मर जाओ. इसके बाद ही महिला ने आत्महत्या कर ली थी. ऐसे कई मामले जिले में घटित हुई है. इसके बावजूद इन नॉन बैंकिंग कंपनी व माइक्रो फाइनेंस कंपनी हर चौक- चौराहा व मोहल्ले की गलियों से संचालित हो रही हैं. इसकी शिकायत भी जिला पदाधिकारी से की गयी, उसके बावजूद माइक्रो फाइनेंस कंपनी के क्रियाकलापों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ.

आरोप कई, पर निराकरण नहीं

11 सितंबर 2024 को रानी पतरा निवासी सुभाष चौधरी ने जिला पदाधिकारी को एक बैंक के खिलाफ शिकायत कर उचित कार्रवाई करने को लेकर आवेदन दिया था. प्रासंगिक पत्र के आलोक में जिला जनशिकायत कोषांग से प्राप्त आवेदन के आधार पर प्रभारी पदाधिकारी जिला बैंकिंग शाखा प्रभारी अभिषेक किशोर ने बैंक प्रबंधक को नोटिस जारी की थी, लेकिन इसका क्या हुआ यह अब तक किसी को पता नहीं है. बैंक बदस्तूर काम कर रहा है.

निशाने पर रहती हैं घरेलू महिलाएं

ग्रुप लोन में निजी फाइनेंस कंपनी कर्मी निजी कार्य या फिर किसी प्रकार के व्यवसाय को लेकर घरेलू महिलाएं व सीधी-सादी महिलाओं को टारगेट करती है. ग्रुप लोन में अधिकांश लोन महिलाएं लेती हैं. घर की महिलाओं के माध्यम से घर के पुरुष भी ऋण उठाते हैं. बैंककर्मी पति-पत्नी का वोटर कार्ड व आधार कार्ड लेकर आसानी से लोन देते हैं. फिर उसके बाद जब रिकवरी की बारी आती है, तो इसी ग्रुप में महिलाओं से साप्ताहिक या फिर मासिक रुपये का किस्त लेते हैं. ऋण राशि का भुगतान नहीं करने पर उन्हें अपशब्द कहा जाता है तथा समूह के बीच में उन्हें बेइज्जत की जाती है. अगर महिला के स्थान पर पुरुष रहते तो निश्चित तौर पर विवाद होता है. इसलिए माइक्रो फाइनेंस कंपनी ग्रुप लोन में अधिकांश महिलाओं को टारगेट करती है, ताकि रिकवरी में उन्हें कोई परेशानी और विवाद न हो. घरेलू महिलाएं बैंक कर्मी की बातों की किसी प्रकार की प्रतिक्रिया भी नहीं दे पाती है. घर जाकर किस्त राशि के भुगतान को लेकर पति सहित परिजनों पर दबाव बनाती है. इस कारण घर में क्लेश व कलह शुरू हो जाता है. सभी लोगों के बीच में इस प्रकार के प्रताड़ना से बचने के लिए अंततः गलत कदम उठा लेते हैं.

डंडखोरा की घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया

डंडखोरा थाना क्षेत्र की द्वाशय पंचायत कंधरपैली निवासी 25 वर्षीय संजीव ठाकुर पिता नारद ठाकुर की लाइव आत्महत्या ने सबको झकझोर दिया है. पत्नी का आरोप है कि मेरे पति ने ग्रुप लोन वसूली एजेंट की प्रताड़ना से तंग आकर हरियाणा के जींद में खुदकुशी कर ली. इस मामले को लेकर संबंधित बैंक अपने बचाव में लगा हुआ है.

गुंडा बैंक के कारण गयी थी तीन लोगों की जान

गुंडा बैंक के कारण 25 फरवरी 2020 को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज के समीप मनीष ठाकुर ने अपने चार वर्षीय मासूम पुत्र को जहर खिलाकर उसकी हत्या कर पति-पत्नी ने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली थी. आत्मत्या से पूर्व मनीष ने एक सोसाइट नोट लिखा था. जिसमें बताया था कि किस तरह से लेनदार उसे प्रताड़ित करते थे. रूपये लेन देन को लेकर उसके साथ अभद्र गाली ग्लौज व मारपीट तक करते थे. इन लोगों से लिये गये कर्ज को लौटाने को लेकर मनीष काफी प्रयासरत थे, काफी रुपये इन लोगों का वापस भी की थी, बावजूद उन लोगों का कर्ज बढ़ता ही गया और लेनदारों के प्रताड़ना के कारण मनीष की हिम्मत जबाब देते गयी, अंतत अपने मासूम से बच्चे को जहर खिलाकर मनीष व मोना ने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली थी. जिसे लेकर मनीष के सोसाइड नोट को ही आधार बनाते हुए उसके भाई के बयान पर स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज किया गया. जिसमें चार लोगों को प्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था. पुलिस ने कांड में दर्ज तीन प्राथमिकी अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक पर कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी थी, जिस कारण उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पायी. इस मामले में सभी आरोपित अभी जमानत पर बाहर है.

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