नहर का हाल खस्ता, नहर में नहीं आता पानी

वर्ष 1987 की प्रलयंकारी बाढ़ ने कोढ़ा विधान सभा क्षेत्र के फलका प्रखंड में जो तबाही मचायी थी. लोग आज तक नहीं भूल पायें हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 15, 2024 12:48 AM

कटिहार.वर्ष 1987 की प्रलयंकारी बाढ़ ने कोढ़ा विधान सभा क्षेत्र के फलका प्रखंड में जो तबाही मचायी थी. लोग आज तक नहीं भूल पायें हैं. भीषण बाढ़ ने कटाव से भी तांडव मचाया था. जल प्रवाह की दिशा में परिवर्तन के बाद प्रखंड के पश्चिम दिशा के कोशी नदी और पूरे प्रखंड क्षेत्र में बिछा सभी नहरें आज तक मृत पड़ा है. कृषक पिछले 36 वर्षो से नहर के पानी के लिए ललायित हैं. कभी इस क्षेत्र में गर्मा धान की फसल लहलहाती थी. लेकिन अब कृषकों इसकी खेती पूरी तरह छोड़ दी है. इसके अलावा इस क्षेत्र में दलहन, तेलहन, गेहूं आदि की खेती भी प्रभावित हुई है. बेतहाशा महंगाई वाले इस दौर में आर्थिक रूप से कमजोर किसानों ने खेती छोड़कर अपनी जमीन बटाईदार के सुपुर्द कर दी है या फिर जमीन को बंधक रख दिया है.

सूत्रों पर यकीन करें तो सरकार सहित विभाग व प्रशासन ने आज तक इसकी सुधी लेने की जरूरत नहीं समझी. वरना आज भी यहां के किसान खुशहाल रहते. प्राकृतिक आपदा ने यहां के कृषकों पर कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ या फिर तेज आंधी व ओलावृष्टि से जूझना मानो यहां के किसानों की नियति बन चुकी है.

हर वर्ष नहर की होती है सफाई, पर नहीं आता पानी

किसान हित में क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2011 में यहां पहुंचकर कार्य निर्माण का शिलान्यास किया था. तब से क्षेत्र के कृषकों को एक उम्मीद जगी है कि वे अब फिर गर्मा धान की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकेंगे. पानी के अभाव में क्षेत्र के कई नहर व छहर अपना अस्तित्व तक खो चुकीं हैं. कुछ नहर आम के बगीचे में तब्दील हो गई हैं तो कही अतिक्रमण कर लोग अपना घर बना लिया है. हाल में कुछ मुख्य नहरों की सफाई भी विभाग द्वारा कराई गई है. स्थानीय पूर्व विधायक पूनम पासवान व बरारी के पूर्व दिवंगत विधायक नीरज यादव ने कई बार सदन में मामला उठाने के बाद पानी वर्षों बाद आया जरूर. लेकिन कुछ माह में ही पुनः बंद कर दिया गया. कुल मिलाकर कहें तो फलका प्रखंड क्षेत्र में बड़ी और छोटी नहरों का जाल बिछा है. अगर सुचारू रूप से नहर चालू किया जाय तो किसानों को बहुत फायदा मिलेगा. सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा. हालांकि मनरेगा से मृत पड़े नहर का हर वर्ष साफ सफाई जरूर होता है. लेकिन उससे किसानों को कई फायदा नहीं है.कृषक अमित कुमार, बंटू शर्मा, टुनटुन गुप्ता, शमशेर आलम, अफरोज आलम, आज़ाद आलम, राजू चौधरी, आसिफ अकबाल, अब्बू आदि ने प्रशासन और सरकार से जल्द नहर चालू कराने की मांग की है.इस मामले को पूर्व विधायक पूनम पासवान पहले विस सत्र में उठाया था. जिस पर विस में मंत्री ने जवाब देते हुए बताया था कि फलका से समेली, डुमर और कुरसेला आदि क्षेत्रों में 25699 एकड़ में किसानों को सिचाई का सुविधा दी जाती है. कुरसेला वितरणी का मरम्मति का कार्य वर्ष 2010 से 2012 के बीच कराया गया है. लेकिन मरम्मति और साइफन निर्माण अवशेष कार्य के लिए निविदा का विस्तार कर किया गया. नहर में कुछ माह पानी भी आया, किसान काफी खुश थे. फिर नहर की मरम्मति सही ढंग से नहीं होने के कारण जगह जगह नहर टूटने लगा. फिर नहर से पानी गायब हुआ तो आज तक गायब है.

उक्त मामले पर सांसद पप्पू यादव ने कहा कि इस मामले को लोकसभा में उठाया जायेगा. बहुत जल्द किसानों की इस समस्या का निदान होगा. किसानों को नहर से जल्द ही लाभ मिलेगा.

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