डंडखोरा. शहरी क्षेत्र के चमक दमक के बीच अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की ओर से छठ पर्व से पूर्व घाटों का निरीक्षण करते है. साथ ही सरकारी स्तर पर घाटों की साफ-सफाई भी करायी जाती है. पर ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों की साफ-सफाई उस तरह से नहीं होती है. प्रखंड में थाना के समीप पीर दरगाह घाट, डंडखोरा रेलवे स्टेशन के समीप का घाट, पहाड़पुर घाट, घोघरा, डुमरिया, जबरा पहाड़पुर, गोरफर, बहेलिया स्थान, भमरैली, नेपरा, भेलाई, सौरिया, बोरनी, द्बाशय, कुर्थीया, कंधरपेली सहित प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में कई छोटे बड़े छठ घाट है. यह सभी छठ घाट गंदगी से भरा पड़ा हुआ है. ऐसा लगता है कि गंदगी के बीच छठव्रती भगवान भास्कर को अर्घ देंगे. स्थानीय प्रशासन की ओर से छठ घाट की साफ-सफाई को लेकर कोई पहल नहीं की गयी है. दूसरी तरफ पीर मजार पोखर, डंडखोरा रेलवे स्टेशन पोखर सहित कई ऐसे प्रमुख छठ घाट है. जहां इस बार अत्यधिक पानी है. ऐसे में प्रशासन की ओर से अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है और न ही ऐसे अति संवेदनशील पोखर में बैरिकेडिंग की जा रही है. हर साल निरीक्षण कर औपचारिकता पूरी होती रही है. सक्षम छठव्रती अपने स्तर से छठ घाट की सफाई करते रहे है. प्रशासनिक स्तर से साफ सफाई नहीं किया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में यह लगता है कि प्रशासनिक कुनबा शहर में छठ घाट की सफाई कराने में जुटी हुई है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा को लेकर लोगों में नाराजगी है. जनप्रतिनिधि भी इस मामले में पूरी तरह से उदासीन दिखते है. पूर्व प्रमुख पूनम देवी कहती है कि स्थानीय प्रशासन को प्रमुख छठ घाटों की साफ-सफाई कराने को लेकर प्रस्ताव जिला प्रशासन के पास भेजना चाहिए. बताया जाता है कि हर पंचायत में दो-तीन छठ घाट बड़े स्तर का है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं व छठव्रती छठ के पूजा अर्चना के लिए पहुंचते है. स्थानीय पूर्व उप मुखिया राजकुमार मंडल, भाजपा नेता हरिमोहन सिंह, कंचन, रामप्रवेश सिंह, गणेश कुमार मंडल, घनश्याम प्रसाद यादव आदि कई स्थानीय लोगों ने जिला पदाधिकारी से इस मामले हस्तक्षेप की मांग करते हुए छठ घाट की सफाई करने की जरूरत पर बल दिया है.
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