पटाखों से करेंगे परहेज, मिट्टी का दीया जलाकर हरित दिवाली मनाने का बच्चों ने लिया संकल्प
जयमाला शिक्षा निकेतन के स्कूली छात्र-छात्राओं ने दीपावली पर पटाखों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने का लिया संकल्प
कटिहार. दीपावली का त्योहार मिट्टी के दीये से जुड़ा है. यही हमारी संस्कृति में रचा बसा हुआ है. दीये जलाने की परंपरा वैदिक काल से रही है. भगवान राम की अयोध्या वापसी की खुशी में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा चली आ रही है. शास्त्रों में मिट्टी के दीये को पांच तत्वों का प्रतीक माना गया है. लेकिन गुजरते वक्त के साथ इस त्योहार को मनाने का तरीका भी बदलता गया. आधुनिकता की आंधी में हम सबने अपनी पौराणिक परंपरा को छोड़ कर दीपावली पर बिजली लाइटिंग के साथ तेज ध्वनि वाले पटाखे फोड़ने शुरू कर दिये. इससे एक तरफ मिट्टी के कारोबार से जुड़े कुम्हारों के घरों में अंधेरा रहने लगा तो ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलने वाले पटाखों को अपनाकर अपनी सांसों को ही खतरे में डाल दिया. प्रभात खबर की पहल पर गुरुवार को हृदयगंज स्थित जयमाला शिक्षा निकेतन विद्यालय की छात्र-छात्राओं ने पटाखों से परहेज कर मिट्टी का दीया जलाकर हरित दिवाली मनाने का संकल्प लिया. स्वच्छ व स्वस्थ पर्यावरण से आयेगी खुशहाली हृदयगंज स्थित जयमाला शिक्षा निकेतन के छात्र-छात्राओं ने इस साल मिट्टी का दीया जलाकर प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने का संकल्प लिया. छात्राओं ने कहा जब पर्यावरण बचेगा तभी जीवन में असली खुशहाली आयेगी. मिट्टी का दीप जलाकर वे दूसरों का घर भी वे रौशन करेंगी. इससे पूर्व विद्यालय के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने छात्र छात्राओं को दीपावली की परंपर और मिट्टी के दीये का अहमियत को बताया. इलेक्ट्रिक झालरों से अधिक होती है बिजली की बरबादी संकल्प दिलाते हुए विद्यालय के निदेशक डॉ सुशील कुमार सुमन ने बताया कि बदलते दौर में दीपावली पर अपने घरों को बिजली के झालरों से रौशन करते हैं. इससे बिजली की बरबादी होती है. झालर का उपयोग कर हम सब अपने इलाके में बेरोजगारी और गंदगी बढ़ा रहे हैं. लाइट का उपयोग करने से मिट्टी के दीये बनाने वाले बेरोजगार होते जा रहे और हमारा पर्यावरण भी दूषित हो रहा है. पर्यावरण प्रदूषण के उन्होंने कई उदाहरण दिये. कहा कि पटाखे फोड़ कर हम ध्वनि प्रदूषण करते ही हैं. साथ ही वायु प्रदूषण भी बढ़ाते हैं. धुंध छाने व पर्यावरण के नुकसान पर चर्चा प्रभात खबर के इस अभियान के तहत दीपावली में पटाखों की धुंध छाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर भी चचा हुई. शिक्षिकाओं ने इस पर प्रकाश डाला और बताया कि पटाखों और इसकी धुुंध से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. बल्कि सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. पटाखों से होने वाले नुकसान पर्यावरण दूषित होता है. वायु प्रदूषण से बढ़ रहा तापमान सेहत को पहुंचा सकता है नुकसान, हो सकता है अस्थमा, फेफड़े व हृदय का रोग, फेफड़ों के क्षति का जोखिम, आंखों में जलन, खुजली की समस्या हो सकती है. सांस लेने की समस्या, नाक और गले में बढ़ सकती है जलन, पटाखों के धुंए के रसायन का दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
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