अलविदा 2024: बिनोदपुर के चुरली घाट पर पुल निर्माण की रह गयी कसक
अलविदा 2024: बिनोदपुर के चुरली घाट पर पुल निर्माण की रह गयी कसक
कोढ़ा 2024 महज अब पांच दिनों का मेहमान रह गया है. लोग नये साल के आगमन की तैयारी में अभी जुटे हैं. यह साल कहीं ना कहीं आमजनों के लिए अगर कुछ खुशनुमा पल उपलब्ध कराए तो कुछ कसक भी छोड़ कर जा रहा है. कोढ़ा बिनोदपुर पंचायत के चुरली घाट पर पुल निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं होने की मायूसी आमजनों में छाई ही रह गयी. लोगों को पूरा भरोसा था की चुरली घाट का पुल निर्माण वर्ष 2024 में जरूर हो जायेगा.आशाओं को जीने वाले लोग एक बार फिर से नववर्ष 2025 में उक्त पुल का निर्माण हो जाए यह आशा पाले हुए हैं. आजादी के सात दशक बाद भी स्थानीय लोगों को बिनोदपुर पंचायत अंतर्गत चुरली घाट पर पुल निर्माण के सपने अधूरे रह गये और आज भी चुरली घाट के दोनों तरफ निवास करने वाले लोग बांस के बने एक लंबी चचरी पुल पर इस पार से उस पार और उस पर से इस पार आवगमन करते हैं जो निश्चय ही जोखिम भरा है. दो प्रखंड को आपस में जोड़ने वाली यह पुल निर्माण की मांग वर्षो से हो रही कोढ़ा व हसनगंज को आपस में जोड़ने वाली कारी कोसी नदी पर पर जब पुल निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था तो स्थानीय लोगों व मुसाफिरों में खुशियों का संचार हुआ था. लोग काफी खुश थे कि अब नदी पर पुल का निर्माण होने के बाद चचरी पुल होकर जोखिम भरा आवागमन से निजात मिलेगा. पर निर्माण अवधि पूर्ण होने के बावजूद भी पुल का निर्माण नहीं हो सका और अर्धनिर्मित पुल की भांति लोगों के अरमान भी अधूरे रह गये. कहते हैं स्थानीय ग्रामीण ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क मार्ग से जाने पर कोलासी मिरचाबाड़ी होते हुए रौतारा थाना जाने में 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अगर अर्धनिर्मित पुल का निर्माण पूरा कर दिया जाय तो यह 20 किलोमीटर की दूरी तीन किलोमीटर में ही सिमट जायेगी. स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकार व विभाग शहर से लेकर गांव के मोहल्ले के गालियों तक सड़कों का जाल बिछाकर मुख्य मार्ग से जोड़ने की कार्य कर रही है. इस अर्धनिर्मित पुल का कार्य पूरा न कर पाना सरकार व विभाग के उदासीनता को दर्शाता है.
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