अलविदा 2024: साल भर से अधर में लटका रहा महानंदा बेसिन टू तटबंध निर्माण परियोजना
इस साल को समाप्त होने में अब कुछ ही दिन बचे है. महानंदा बेसिन फेज टू के तहत महानंदा नदी के दोनों तरफ तटबंध निर्माण का मामला अब तक नहीं सुलझ पाया है. करीब सालभर से यह मामला अधर में लटका हुआ है.
उच्च स्तरीय जांच टीम के रिपोर्ट पर टिकी है सबकी निगाहें कटिहार.इस साल को समाप्त होने में अब कुछ ही दिन बचे है. महानंदा बेसिन फेज टू के तहत महानंदा नदी के दोनों तरफ तटबंध निर्माण का मामला अब तक नहीं सुलझ पाया है. करीब सालभर से यह मामला अधर में लटका हुआ है. पिछले दिनों जल संसाधन विभाग के शीर्ष अधिकारियों की उच्च स्तरीय टीम ने इस मामले को लेकर स्थल निरीक्षण किया था. अब उच्च स्तरीय जांच टीम की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. उल्लेखनीय है कि महानंदा बेसिन फेज टू के तहत बांध निर्माण की प्रक्रिया वर्षों से चल रही है. जब तटबंध निर्माण को लेकर भूमि अधिकरण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. तब निर्माण के विरोध में स्वर उठने लगे. तब इसके बाद बड़ी तादाद में लोगों ने तटबंध निर्माण के पक्ष में भी खड़ा हो गया. स्थानीय बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कटिहार एवं जिला प्रशासन के अनुसार कटिहार जिले के कदवा अंचल में भूमि अधिकरण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. अब सिर्फ भू स्वामियों को मुआवजा देने का काम रुका हुआ है. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जल संसाधन मंत्री गत पांच फरवरी 2023 को कोढ़ा प्रखंड अंतर्गत दिघरी में आये थे. तब कदवा विधायक डॉ शकील अहमद खान, बलरामपुर विधायक महबूब आलम आदि ने मुख्यमंत्री व जल संसाधन मंत्री से मिलकर महानंदा फेज टू के तहत बनने वाले तटबंध का निर्माण कार्य को रोकने की मांग की थी. उच्च स्तरीय जांच टीम भेजने का आग्रह किया था. बताया जाता है कि उसी समय उच्च स्तरीय टीम भेजने का भरोसा दिया गया था. इसके बाद भूअर्जन के विरुद्ध भूस्वामी को दिये जाने वाली मुआवजा राशि देने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया. इस बीच दो बार उच्च स्तरीय जांच टीम ने स्थल निरीक्षण किया. स्थानीय लोगों से बातचीत की. अभी हाल ही में एक उच्च स्तरीय जांच टीम ने स्थलीय निरीक्षण व लोगों से बातचीत करके पटना लौट गये है. तटबंध निर्माण के पक्ष व विरोध में खड़े है लोग महानंदा बेसिन बेसिन टू के तहत बनने वाले तटबंध के पक्ष व विरोध में यहां के लोग खड़े है. बताया जाता है कि मौजूदा महानंदा तटबंध के भीतर रहने वाले लोग व आसपास के लोगों की भावनाओं को लेकर कदवा विधायक डॉ शकील अहमद खान, बलरामपुर विधायक महबूब आलम व स्थानीय कुछ नेता, समाजिक कार्यकर्ताा प्रस्तावित तटबंध निर्माण के विरोध में खड़े है. जबकि तटबंध के बाहर के लोग बड़ी संख्या में तटबंध निर्माण के पक्ष में मुहिम चला रही है. तटबंध निर्माण का विरोध करने वालों का अपना लॉजिक है. जबकि तटबंध निर्माण के पक्ष में खड़े लोगों का अपना तर्क है. हालांकि जल संसाधन विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने अध्ययन करने के बाद ही महानंदा बेसिन टू तटबंध निर्माण को लेकर कार्य योजना तैयार किया है. उसके बाबजूद तटबंध निर्माण पर रोक समझ से परे है. 436 करोड़ की लागत से होना है तटबंध का निर्माण कटिहार के झौआ से किशनगंज के कुट्टी घाट तक 66.23 किलोमीटर महानंदा दायां तटबंध तथा कुट्टी घाट से बागडोब तक 46.01 किलोमीटर तक महानंदा बायां तटबंध निर्माण होगा. जबकि कटिहार के नागर नदी में 20 किलोमीटर तक दांया तटबंध का निर्माण कराया जायेगा. जबकि किशनगंज और अररिया में रतुआ नदी के दोनों तरफ 33-33 किलोमीटर दायां व बायां तटबंध का निर्माण होगा. यानी इस फेज में महानंदा, नागर व रतुआ नदी पर 198 किलोमीटर तटबंध का निर्माण 436 करोड़ की लागत से कराया जायेगा. इसमें भूमि अर्जन की राशि शामिल नहीं किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि महानंदा फेज टू के तहत महानंदा नदी पर कटिहार के झौआ से किशनगंज के कुट्टी घाट तक दोनों तरफ तटबंध का निर्माण किया जाना है. जिसमें कटिहार के एक अंचल कदवा में 160 एकड़, पूर्णिया के तीन अंचल अमोर, बायसी और बैसा में 331 एकड़ और किशनगंज के कोचाधामन अंचल में 84 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. जिसमें भू अर्जन विभाग द्वारा कटिहार व पूर्णिया में भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया पूरी की चुकी है. कटिहार में भूस्वामी को अब सिर्फ मुआवजा राशि दिया जाना है. जबकि किशनगंज समाहर्ता की ओर से अभी हाल ही में भूअर्जन को लेकर गजट प्रकाशित किया गया है तथा वहां भू अर्जन की प्रक्रिया चल रही है.
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