धनराज ने खरगोश पालन के शौक को बनाया व्यवसाय, अब दूसरों को दे रहे हैं प्रशिक्षण
हसनगंज प्रखंड के बलुआ पंचायत स्थित छोटकी रटनी गांव निवासी धनराज केवट अपने शौक को व्यवसाय में बदल आज अच्छी आमदनी कर रहे हैं. नये व्यवसाय के रूप में खरगोश पालन कर इसकी बिक्री कर रहे हैं.
विजय गुप्ता कटिहार : हसनगंज प्रखंड के बलुआ पंचायत स्थित छोटकी रटनी गांव निवासी धनराज केवट अपने शौक को व्यवसाय में बदल आज अच्छी आमदनी कर रहे हैं. नये व्यवसाय के रूप में खरगोश पालन कर इसकी बिक्री कर रहे हैं. एक जोड़ी नर-मादा से शुरूआत कर बड़े स्तर पर खरगोश पालन करके अच्छी कमाई कर रहे हैं. साथ ही लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.
मौके पर खरगोश पालक धनराज ने कहा कि कई वर्ष पूर्व हम खरगोश का पालन शौक से कर रहे थे. कटिहार मार्केट से एक जोड़ा बड़ा खरगोश नर-मादा नौ सौ रुपये में खरीदे थे. इस तरह एक जोड़ी खरगोश से कई जोड़ी खरगोश हो गये. बाहर से जब कोई मेहमान व दूर रिश्तेदार आते थे तो रंग बिरंगे खरगोश के बच्चे को देख बड़ी तारीफ़ करते थे.
उन्हें खरीदने की इच्छा जताते थे. तो उन्हें देना पड़ता था. अचानक दिमाग में आया कि क्यों न इसे व्यवसाय के रूप में अपनाया जाय. इस तरह जब व्यवसाय के रूप में इनको पालना शुरू किया तो एक जोड़ी खरगोश बेचने पर पांच सौ मिलता है. इस समय हमारे पास कई नस्ल के कई दर्जनों खरगोश हैं. मेरे फार्म शुरू करने के बाद से कई ग्रामीण किसान इस तरह की खरगोश पालन करने की योजना बना रहे हैं.
आस पास के लोग खरगोश पालन का प्रशिक्षण लेने के लिए भी हमारे यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि खरगोश पालन कम लागत और छोटी जगह में अधिक आमदनी देना वाला व्यवसाय है. खरगोश को हरी घास, बची हुईं सब्जियां, रोटी, चावल और चना भोजन के रूप में दिया जाता है.
मादा खरगोश में एक साल में 6 बार बच्चे देती है और एक मादा खरगोश एक बार में 7 बच्चे को जन्म देती है. अच्छी देख भाल करते हुए साफ-सफाई साथ लोहे के बनाये गये डेढ़-डेढ़ फीट की लंबाई जाली में इसे रखा जाता है. आज पूरे क्षेत्र के लिए यह व्यवसाय प्रेरणादायक बना हुआ है.
posted by ashish jha