कटिहार. डीएस कॉलेज का बीएड विभाग हमेशा से सुर्खियों में रहा है. बीएड में शिक्षकों की वेतनवृद्धि का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया है कि अब शिक्षकों के साथ भेदभाव अपनाने से बीएड के शिक्षक परेशान हैं. डीएस कॉलेज बीएड दो यूनिट के तहत संचालित हो रहा है. इसे पूरा करने के लिए एनसीटीई के मानकों के प्रति गंभीर नहीं हो रहे हैं. लेकिन डीएस कॉलेज के अलग-अलग प्रशासन द्वारा अलग-अलग निर्देश से शिक्षक व कर्मचारी हैरान हैं. ऐसा इसलिए कि किसी को मेडिकल अवकाश का भुगतान कर दिया गया तो किसी को मेडिकल पर जाने और वापस लौटने के बाद वेतन काट दी जा रही है. इससे शिक्षकों में आक्रोश पनप रहा है. बीएड विभाग के कई शिक्षकों का कहना है कि बीएड स्ववित पोषित है. 2017 से जितने भी डीएस कॉलेज के प्राचार्य आये बीएड विभाग के विकास कैसे हो बीएड की मान्यता को कैसे बचाया जाये इसपर ध्यान नहीं देकर अलग अलग तरीकों से इसका संचालन किया गया. शिक्षकों की माने तो विवि के पास अब तक उनलोगों की सेवा नियमावली नहीं है. 12 सीएल को छोड़कर बीएड के शिक्षकों, पदाधिकारियों को चिकत्सा भत्ता, प्रतिपूरक अवकाश, स्टडी लीव, अजित अवकाश आदि किसी भी प्रकार का भत्ता नहीं दिया जा रहा है.
2020 में दिया गया मातृत्व अवकाश का लाभ
बीएड शिक्षकों की माने तो अलग अलग समय में अलग-अलग प्राचार्यों द्वारा अपने तरीके से बीएड का संचालन किया जाता रहा है. 2017-18 में तत्कालीन प्राचार्य द्वारा बीएड के शिक्षकों को चिकित्सा भत्ता का लाभ दिया गया. 2020 में तत्कालीन प्राचार्य द्वारा मातृत्व अवकाश का भी लाभ दिया गया. इतना ही शिक्षिका के गैप रहने के बावजूद भुगतान कर दिया गया. इसके बाद के प्राचार्यों द्वारा यह कहकर मेडिकल भत्ता पर रोक लगा दी गयी कि विवि द्वारा मेडिकल ग्रांट के बाद ही लाभ दिया जा सकता है. कुछ शिक्षकों ने बताया कि मेडिकल लीव में रहने के बाद भी वेतन कटौती की गयी. अब के पूर्व किन परिस्थितियों में मेडिकल भत्ता का लाभ दिया गया. यह जांच का विषय है.
इधर, डीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय कुमार सिंह का कहना है कि बीएड के शिक्षकों का मेडिकल विवि द्वारा स्वीकृत होकर आने के बाद भुगतान किया जायेगा. दो शिक्षकों के मेडिकल पर जाने के बाद छह-छह दिन का वेतन काटी गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है