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डीएस कॉलेज मुख्य द्वार पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा, शोभा पर लग रहा बट्टा

डीएस कॉलेज मुख्य द्वार पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा, शोभा पर लग रहा बट्टा

– छात्रों को आवाजाही में होती है परेशानी, कॉलेज प्रबंधन नहीं दे रहा ध्यान – छात्र संगठन और सीनेट सदस्यों ने पूर्व में भी उठा चुके हैं मामला प्रतिनिधि, कटिहार डीएस कॉलेज पूर्णिया विश्वविद्वालय का जिले में एकमात्र अंगीभूत इकाई जहां पीजी स्तर की पठन पाठन की व्यवस्था है. कॉलेज प्रबंधन की उदासीन रवैये की वजह से इसका हाल बद से बदतर है. कॉलेज भवन, प्रोफेसर क्वार्टर, छात्रावास, प्राचार्य आवास से लेकर बाउंड्री जहां जीर्णशीर्ण है. दूसरी ओर कॉलेज के मुख्य द्वार पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा रहने से कॉलेज की शोभा पर बट्टा लग रहा है. जिसका नतीजा है कि नवनामांकित छात्र हो या आने वाले उनके अभिभावक को प्रवेश करने के काफी परेशान होना पड़ता है. खासकर नये सत्रों में नामांकित छात्राें को मुख्य द्वार खोजने में परेशान होना पड़ता है. हालांकि इस मामले को पूर्व में छात्र, छात्र संगठन से लेकर पीयू के सीनेट सदस्य सह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य शिव शंकर सरकार ने मामले को लेकर विवि को अवगत कराया था. जिसके बाद नगर निगम प्रशासन व जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर अतिक्रमणकारियों को हटाया गया. लेकिन दिन बीतने के बाद पुन: स्थिति जस की तस हो जाने से छात्रों के बीच चिंता का विषय बना हुआ है. पीयू के सीनेट सदस्य शिवशंकर सरकार, अभाविप के एसडब्ल्यूसी मेम्बर विनय कुमार सिंह समेत अन्य का कहना है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय के सबसे प्रतिष्ठित महाविद्यालय दर्शन शाह महाविद्यालय है. यहां पर यूजी, पीजी, बीसीए, बीएड के साथ इग्नू का परीक्षा केन्द्र भी है. मुख्य द्वार पर नित्य नये नये दुकान लगाने के कारण आसपास के लोग भी परेशान हैं. कॉलेज के मुख्य द्वार पर अतिक्रमण कर दुकान खोलने से हिचक भी नहीं रहे हैं. नगर निगम क्षेत्र में अवस्थित महाविद्यालय से पठन पाठन कर निकलने वाले कई छात्र जनप्रतिनिधि, मंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित कई प्रतिष्ठित पदों की शोभा बढ़ा चुके हैं. बावजूद कोई इस महाविद्यालय की सुध लेने वाला नहीं है. हर वर्ष हजारों छात्र जिस महाविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर अपना जीवन संवारने के लिए आते हैं. लेकिन आज उसे संवारने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. गौरवपूर्ण इतिहास संरक्षण को आगे आने की जरूरत ——————————————————— कई छात्र संगठनों की माने तो इस महाविद्यालय में तीन छात्रावास है. कल्याण छात्रावास, महिला छात्रावास, जेनरल छात्रावास, जेनरल छात्रावास को सील कर दिया गया है. इस महाविद्यालय से भले ही हजाराें छात्र- छात्राओं ने पठन पाठन कर जीवन संवारा और संवारने में लगे हैं. महाविद्यालय का गौरवपूर्ण इतिहास को बचाने के लिए महाविद्यालय के मुख्यद्वार से अतिक्रमणमुक्त और विकास की नई रणनीति पर विचार करने की जरूरत है. कहते हैं प्राचार्य ———————– मामले में प्राचार्य डॉ संजय कुमार सिंह की माने तो उनके पूर्व के प्राचार्य द्वारा भी अतिक्रमण खाली कराने के लिए नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन को अवगत कराया गया था. कॉलेज प्रबंधन द्वारा इससे पूर्व निगम प्रशासन को अतिक्रमण खाली कराने को पत्राचार किया गया था. मुख्यद्वार पर अतिक्रमण से आवागमन में परेशानी होती है.

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