पूर्वी सेंट्रल रेलवे ने अक्षय स्रोतों से 1.45 मिलियन यूनिट ऊर्जा किया उत्पादन, बचाये 97.9 लाख रुपये
कटिहार समेत एनएफ के अन्य रेल मंडल में सोलर प्लेट से सौर उत्पादन बढ़ी
कटिहार. भारतीय रेल की नीति के अनुरूप पूर्वोत्तर सीमा रेलवे वर्ष 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है. पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के कटिहार सहित अन्य जोन के रेल भवनों एवं अन्य प्रतिष्ठानों में रूफ-टॉप सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर अधिक से अधिक हरित ऊर्जा के उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के कदम उठा रही है. अक्षय ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए, पूर्वी सेंट्रल रेलवे ने अक्षय स्रोतों से 1.45 मिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पन्न की है. जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल-जून 2024 के दौरान 97.9 लाख रुपये लगभग की बचत हुई है. नॉन-ट्रैक्शन ऊर्जा खपत के लिए बेहतर पावर फैक्टर, समय पर भुगतान करने पर छूट आदि के कारण रेलवे ने अप्रैल से जून तक 66.7 लाख रुपये लगभग की बचत की है. गो-ग्रीन मिशन के तहत एनएफ रेलवे के अधीन विभिन्न स्टेशनों और अन्य सेवा भवनों में स्थापित सौर रूफ टॉप पैनलों द्वारा जून तक 6764 किलोवाट पीक (केडब्ल्यूपी) संचयी बिजली पैदा की गयी. कटिहार, अलीपुरद्वार, रंगिया, लामडिंग और तिनसुकिया मंडलों ने अपने उपयोग के लिए क्रमशः 610 केडब्ल्यूपी, 381 केडब्ल्यूपी, 1066 केडब्ल्यूपी, 1020 केडब्ल्यूपी और 190 केडब्ल्यूपी सौर ऊर्जा की क्षमता वाली यूनिट स्थापित की है. रेलवे के मुख्यालय परिसर और गुवाहाटी उप-मंडल में संयुक्त क्षमता की 1497 केडब्ल्यूपी यूनिट स्थापित की गयी है. न्यू बंगाईगांव और डिब्रूगढ़ के दो कारखानों में भी 1000-1000 केडब्ल्यूपी क्षमता के संयंत्र स्थापित किये गये हैं. कहते हैं पदाधिकारी
रेलवे अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है. इससे स्टेशनों और अन्य सेवा भवनों के रोजमर्रा की बिजली जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. पर्यावरण के अनुकूल होने के अलावा, इससे रेलवे के अत्यधिक व्यय और देश की विदेशी मुद्रा की बचत होती है.
सब्यसाची डे, मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी, एनएफ रेलवेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है