स्थापना के 30 साल बाद भी कुरसेला प्रखंड, अंचल कार्यालय को नहीं मिला अपना भवन
स्थापना के 30 साल बाद भी कुरसेला प्रखंड, अंचल कार्यालय को नहीं मिला अपना भवन
कुरसेला कुरसेला प्रखंड के स्थापना हुए 30 साल गुजर गये, पर प्रखंड, अंचल कार्यालय को खुद का जमीन व भवन नहीं मिल पाया. वर्षो से प्रखंड, अंचल के जमीन अधिग्रहण का कार्य अधर में अटका है. स्थापना काल से प्रखंड और अंचल कार्यालय कोसी प्रोजेक्ट कुरसेला के निरीक्षण भवन में चल रहा है. यानि दोनों ही कार्यालय दूसरे विभाग के रहमोकरम पर आश्रित है. भुमि अधिग्रहण नहीं हो पाने की वजह से प्रखंड अचंल कार्यालय के स्थाई भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. इस दिशा में राजनीतिक, प्रशासनिक स्तर पर कई बार प्रयास किये गये हैं. पर नतीजा ढाक के तीन पात वाली साबित होता आया है. काफी संघर्ष के बाद कुरसेला को प्रखंड का दर्जा 8 अगस्त 1994 को प्राप्त हुआ था. प्रखंड दर्जा मिलने के लगभग तीन दशक का समय गुजरने के बाद दोनों कार्यालय के जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया सरकारी फाइलों में गुम होकर रह गयी है. भुमि अधिग्रहण में बरती जाने वाली लापरवाही कानुनी पेंच की अड़चने प्रखंड अंचल के भुमि अधिग्रहण कार्य को अटका जाता है. नतीजन मामला फाइलों में गुम होकर कर रह गया है. प्रशासनिक स्तर पर कई बार प्रखंड, अंचल कार्यालय जमीन चयन के लिए स्थल निरीक्षण कर प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है. बावजूद इस दिशा में प्रस्ताव के सरकारी प्रारूप पर मुहर नहीं लग पायी. जानकारी अनुसार विगत के तकरीबन आठ वर्ष पुर्व कुरसेला बल्थी महेशपुर के बीच एसएच 77 किनारे के एक बड़े भुखंड को प्रखंड अचंल कार्यालय बनाने के लिए उपयुक्त माना गया था. तत्कालीन बीडीओ वरीय उपसमाहर्ता इन्द्रवीर कुमार ने इस जमीन का स्थल निरीक्षण कर भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव को जिला प्रशासन व सरकार के पास भेजा था. माना जा रहा था कि शीघ्र ही सरकार प्रस्तावित भूमि का अधिग्रहण कर प्रखंड अंचल निर्माण के दिशा में कार्य कर सकेगी. बताया गया था कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जिला प्रशासन से अनुमोदित होकर राज्य सरकार के पास अनुमोदन के लिये भेजा गया था. प्रस्ताव पर सरकार के केबिनेट से प्रस्ताव पर मंजूरी मिलना शेष रह गया था. कतिपय वजह से इसके बाद मामला सरकार के फाइलों में अटका पड़ा रह गया. जिला प्रशासन की ओर से नये सिरे से प्रखंड अंचल भूमि चयन के लिये कुरसेला के कई स्थानों पर स्थल निरीक्षण का कार्य किया गया. नतीजा फिर कागजी फाइलों में सिमट कर रह गया. अधिकारियों व कर्मियों के आवास की समस्या ——————————————————- प्रखंड के बीडीओ, सीओ सहित कर्मियों को सरकारी आवास नहीं रहने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. किराये के मकान लेकर अधिकारियों को आवास समस्या से निबटना पड़ता है. मनोकुल किराये का आवास नहीं मिलने से कठिनाई झेलनी पड़ती है. प्रखंड, अंचल में पदस्थापित कई अधिकारी व कर्मी आवास सुविधा नहीं रहने के वजह से प्रतिदिन दूसरे स्थानो से आवाजाही करते हैं. जमीन अधिग्रहण नहीं होने से प्रखंड अंचल के अधिकारियों, कर्मियों के लिये सरकारी आवास का निर्माण नहीं हो सका है. लगातार बढ़ रहा जमीन के दाम ————————————— कुरसेला बाजार सहित आसपास क्षेत्र की जमीन लगातार महंगी होते जा रही है. जिससे सरकार के तय दरों में भूधारी जमीन अधिग्रहण का विरोध कर जाते है. जिससे भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अड़चने बन आती है.
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