11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हरा सोना के रूप में किसान कर रहे हैं बांस की खेती, हो रहे समृद्ध

becoming prosperous

हसनगंज. प्रखंड क्षेत्र में हरा सोना कहे जाने वाले बांस की खेती की ओर किसान अग्रसर हो रहे हैं. अन्य पारंपरिक खेती के तुलना में बांस की खेती क्षेत्र के किसानों के लिए कारगर साबित हो रहा है. बाढ़, सुखाड़, बरसात से बांस की खेती को नुकसान नहीं होता है. इस तरह से बांस की खेती का रकवा भी बढ़ रहा है. नकदी के रूप में यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद माना जा रहा है. वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों में बांस की खेती काफी पूर्व काल से होती आ रही है. लेकिन अब उन्नत किस्म की बांस लगाकर किसान इससे ज्यादा फायदा कमा रहे हैं. यह खेती आज के जमाने में घाटे का सौदा नहीं रह गया है. किसान सही तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. यह खेती ढेरुआ, बलुआ, कालसर, रामपुर एवं जगरनाथपुर पंचायत में बांस की खेती बढ़ी है. किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी फसल की खेती करने लगे हैं. जिससे किसानों को मुनाफा भी हो रहा है. इस तरह से ग्रीन गोल्ड कहे जाने वाले बांस की खेती फायदेमंद साबित हो रही है. खास बात यह है कि बांस की खेती में अधिक खर्च भी नहीं होता है. इसमें शुरुवाती समय में ना ही पटवन की आवश्कता होता है और न हीं खाद की जरूरत पड़ती है. इसमें आसानी से उपलब्ध गोबर का हीं प्रयोग किया जाता है. बांस की खेती के बारे में कृषि विशेषज्ञ और कई किसानों का मानना है कि यह फसल दूसरी फसलों के मुकाबले में काफी सुरक्षित है. जिससे अच्छी आमदनी किसानों को होता है. बांस की खेती कर रहे प्रमोद यादव बताते हैं कि काफी कम उम्र से पारंपरिक खेती बाड़ी करतें आ रहें है. लेकिन धान, गेंहू, मक्का, मखाना व अन्य खेती में काफी रिक्स रहता है. बांस की खेती बेहतर है कम खर्च व कम समय में तैयार हो जाता है. कहा कि करीब एक बीघा भूमि पर बांस का पौधा लगाय हैं. काफी कम समय में ही यह पूरी तरह से तैयार हो गया. उन्होंने बताया कि बांस की कई सारी खासियत है. जिनमें औसतन प्रत्येक की बांस की लंबाई 35 से 45 फीट से भी अधिक होती है. बांस सीधी रहने के चलते इसका इस्तेमाल करना आसान है. प्रत्येक बांस की कीमत 70 रुपये लेकर 120 रूपए तक करीब है. ज्यादातर बांस गांव में ही बिक जाती है और आस-पास के बाजार जैसे कटिहार-पूर्णिया समेत बांस के आढ़त कहे जाने वाली जगह छतिया से बांस कारोबारी पहुंच के बांस खरीदारी करतें हैं. गेबियन, टोकरी, सूप, डलिया आदि सामग्री बनाने में बांस की काफी डिमांड रहती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें