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मौसम की बेरुखी से किसान हताश, व निराशा का आलम

तापमान में निरंतर वृद्धि के कारण जहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. कृषकों के समक्ष अपने विभिन्न फसलों को बचाना चुनौती बन गयी है.

कोढ़ा. तापमान में निरंतर वृद्धि के कारण जहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. कृषकों के समक्ष अपने विभिन्न फसलों को बचाना चुनौती बन गयी है. क्षेत्र में मुख्य रूप से मखाना, केला, पटवा के अलावा धान की फसल बृहद पैमाने पर होती है. धान का कटोरा कहा जाने वाला यह क्षेत्र में अगले अगहनी धान फसल किसानों ने अपने खेतों में लगा दिया है. वर्षा की आस में किसानों ने धान की रोपनी कर दी है, किंतु बारिश नहीं होने से धान की फसल को बचा पाना उनके लिए चुनौती बन गयी है. मखाना व केला की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है. इस मानसून में भी पर्याप्त मात्रा में बारिश होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. जिस कारण कृषक अपने फसल को बचाने के लिए महंगे डीजल खरीद कर पटवन करने को विवश हैं. जबकि बिजली आपूर्ति व्यवस्था सुचारू नहीं रहने के कारण किसानों को पंपसेट के सहारे ही सिंचाई करना पड़ रहा है. किसानों के मुताबिक तापमान में अगर गिरावट नहीं आई और निकट में बारिश नहीं हुई तो फसल बचाना बड़ी मुश्किल काम होगा. गर्मी से लोगों का हाल जहां बेहाल है. विभिन्न प्रकार के फसलों का पानी के अभाव में हालत खराब होने लगी है. अधिकांश खेतों में दरारें पड़ने लगी है. खेतों में दरारें को देख धान फसल किसानों के चेहरे पर चिताओं की लकीरें स्पष्ट देखी जा रही है. जबकि आर्थिक रूप से संपन्न किसान पंपसेट से पटवन कर फसलों को बचाने में लगे हैं. जबकि दर्जनों किसान मौसम की मेहरबानी के इंतजार में अपलक निहार रहे हैं.

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