प्रतिनिधि, फलका प्रखंड क्षेत्र के अनेकों किसान इन दिनों आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का एक बेहतर उपाय मिश्रित खेती के रूप में खोज निकाला है. प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायत के किसानों ने मिश्रित खेती कर दोहरा लाभ प्राप्त कर रहे हैं. प्रखंड में मुख्य रूप से केला, मक्का, आलू व सब्जी की खेती भारी पैमाने पर की जा रही है. जमीन भी काफी उपजाऊ है. कृषक मेहनती भी प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश किसान केला फसल में मक्का और आलू फसल में मक्का की खेती में सब्जी की खेती कर एक्स्ट्रा लाभ लेते हैं. अपनी उपजाऊ जमीन में दोनों फसल से लाभ ले रहे हैं. किसानों ने बताया कि एक एकड़ केले की खेती में लगभग बारह सौ केला का पौधा लगाया जाता है. दो पौधे की दूरी 6 से 7 फीट की होती है. इस छह-सात फीट के फासले में दो-धारी तीन धारी मक्का अथवा आलू व हरी सब्जी लगाकर आराम से किसान फायदा उठा रहे हैं. गौरतलब हो कि मक्का फसल जहां 5 से 6 माह का समय लेता है. आलू दो-तीन महीने में तैयार हो जाता है. जबकि केला फसल 12 से 13 महीने का वक्त लेता है. किसानों को मिश्रित खेती से बेहतर लाभ मिल रहा है. दोनों फसलों के लिए एक ही कोढ़नी और उसी सिंचाई से काम चल जाता है. मामले में प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने बताया कि मिश्रित खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है. क्योंकि केला का फसल क्योंकि अधिक समय लेता है तो इसी बीच उसी खर्चे में दूसरा फसल ऊपज जाता है. केला भी सही समय पर हो जाता है. किसानों ने कहा कि हमलोग आलू का फसल भी लगाए हैं. आलू फसल के बीच में मक्का फसल भी लगाते हैं. हमलोगों को उससे बेहतर लाभ मिल रहा है. केला भी सही समय पर हो जाता है. प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी पवन कुमार ने कहा कि रासायनिक खाद का उचित खुराक दोनों फसल को देना चाहिए. कृषि पदाधिकारी ने मिश्रित खेती के संबंध में कहा कि यह किसानों के हित के लिए अच्छी बात है. दो फसल के लिए उक्त भूमि में उर्वरा शक्ति बनाए रखना अति आवश्यक है. दोनों ही फसलों को भरपूर पोषक तत्व मिलना जरूरी है. इसलिए किसानों को चाहिए कि अधिक से अधिक मात्रा में जैविक खाद तथा उचित मात्रा में ही रासायनिक खाद का उपयोग करें.
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