पूर्व मंत्री महेंद्र नारायण यादव का निधन

पिछले कई दिनों से चल रहे थे बिमार

By Prabhat Khabar News Desk | July 20, 2024 11:29 PM

कटिहार. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री पथ निर्माण राज्य मंत्री व कटिहार जिले के प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे महेंद्र नारायण यादव का निधन शनिवार की दोपहर हो गया. 75 वर्षीय महेंद्र नारायण यादव समाजवादी विचारधारा के मजबूत स्तंभ के रूप में जाने जाते थे. उनके निधन की खबर जिलेभर में आग की तरह फैल गयी है. शहर के महिला कॉलेज रोड स्थित अपने निजी आवास पर महेंद्र बाबू ने शनिवार को दोपहर करीब 1:30 बजे अंतिम सांस ली. परिजनों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे. पूर्व मंत्री के निधन की खबर सुनते ही विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों ने उनके आवास पर आकर श्रद्धांजलि अर्पित की. पूर्व मंत्री अपने पीछे चार बेटियों सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये है. उल्लेखनीय है कि महेंद्र बाबू पहली बार 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर प्राणपुर से पहली बार विधायक बने. जानकारों की मानें तो प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आने के बाद पहला विधायक होने का गौरव भी महेंद्र बाबू को जाता है. वर्ष 1977 के बाद महेंद्र बाबू 1990 व 1995 में क्रमशः जनता दल व राष्ट्रीय जनता दल से विधायक चुने गये. वर्ष 1997 में महेंद्र बाबू राबड़ी देवी मंत्रिमंडल में पथ निर्माण राज्य मंत्री बने. इसके बाद उन्हें बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग का चैयरमेन बनाया गया. वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में वह प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गये. फिर वर्ष 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में प्राणपुर की जनता ने उन्हें जीताकर विधानसभा भेजा. हालांकि इसी विधानसभा भंग हो गया और फिर अक्टूबर-नवंबर 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ. इस चुनाव में वह फिर राजद के टिकट पर चुनाव जीते व विधानसभा पहुंचे. उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री महेंद्र बाबू की प्रारंभिक शिक्षा कटिहार में हुई. लेकिन वह भागलपुर यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र से एमए किये. साथ ही भागलपुर यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. वर्ष 1974 के जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में वह बढ़ चढ़कर हिस्सा लिये. कटिहार जिले में सर्वोदयी एवं समाजवादी नेता के रूप में उनकी पहचान बनी. जानकारों ने बताया कि एमए व एलएलबी करने के बाद वह सरकारी सेवा में जाने के बजाय वकालत करना शुरू कर दिया. वकालत करने की पीछे उनका यही उद्देश्य था कि गरीब एवं वंचित समाज के लोगों को मुफ्त में कानूनी सेवा दी जाय. जानकारों ने यह भी बताया कि कटिहार में प्रैक्टिस करने के दौरान उन्होंने गरीब एवं वंचित वर्ग का मुकदमा फ्री में लड़ते थे. कोर्ट में प्रैक्टिस करने के दौरान उन्हें ऐसा लगा कि यहां सीमित लोगों की सेवा करनी पड़ रही है. अगर राजनीति में जाया जाय तो व्यापक स्तर पर लोगों की सेवा की जा सकती है. इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. समाजवादी विचारधारा से जुड़े होने की वजह से वह जनता पार्टी में शामिल हुए तथा प्राणपुर विधानसभा से उन्हें पहले बार विधायक बननेे का गौरव हासिल हुआ. वह जीवनपर्यंत लोगों की सेवा करते रहे. अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कभी भी किसी तरह का दाग नहीं लगा. उन्हें राजनीति में सुचिता के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है.

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