कोढ़ा. नकदी फसल के रूप में जाना-जाने वाला केला में पनामा विल्ट नामक रोग लग जाने के बाद केले की खेती से अपना रुख बदलकर अब प्रखंड क्षेत्र में अनेकों किसान बांस की खेती पर अपना ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं. चूंकि बांस की खेती आर्थिक सबलता की ओर आस्वस्त करता है. प्रखंड क्षेत्र के कई किसान बांस की खेती कर अच्छी खासी आमदनी का जुगाड़ कर अपना जीवन यापन कर रहे है. चूंकि क्षेत्र में देखा जा रहा है कि बांस के कृषकों के लिए बांस की खेती दुधारू गाय की तरह बांस से होने वाले आय के माध्यम से रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए बाल बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के अलावां अन्य जरूरतें पूरा कर रहे हैं. सही मायने में देखा जाय तो बांस की खेती आय की दृष्टि से एक वरदान साबित हो रहा है. चूंकि सरकार द्वारा चलाये जा रहे पौधरोपण कार्य में घेरा बनाने के लिए बांस की टाटी की अच्छी खासी डिमांड है. घर आंगन के टाटी, छापर, सूप, टोकरी, डाला आदि सामग्री में बांस का उपयोग होता है. जिस कारण अभी वर्तमान में बांस की कीमत बेहतर है. बांस कृषकों के मुताबिक अच्छे नस्ल के बांस का वर्तमान भाव 100 से 150 रुपया प्रति पीस में बांस बिक रहा है. बांस की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि बांस की कीमत बाहर के मंडियों में बहुत ही अच्छी है. यहां का बांस कई प्रांतों में ले जाया जाता है. यहां के बांस की क्वालिटी भी अच्छी मानी जाती है. जिले के कोढ़ा प्रखंड समेत अन्य प्रखंड के कई गांव में बांस की खेती अच्छी खासी होती है. बांस का उपयोग घर बनाने से लेकर शादी विवाह के अलावा दाह संस्कार व सूप, घरों के खंभे बदलने में आंगन में टाटी लगाने समेत कई अन्य कार्यों में उपयोग किया जाता है. यहां तक की पक्का मकान बनाते समय बांस की अहम जरूरत होती है. यही कारण है कि केला में पनामा विल्ट के कारण जब किसानों को निरंतर नुकसान हुआ तो वह केले की खेती से विमुख होकर मक्का, मखाना के साथ-साथ अब बांस की खेती की ओर अधिक ध्यान देने लगे हैं. बांस कृषक ने बताया कि बांस की खेती करने वालों का हाथ कभी खाली नहीं रहता है. बांस का खुदरा ग्राहक सब रोज मिल जाता है. इसमें कोई दोराय नहीं की बांस की खेती कर आर्थिक तंगहाली को दूर करते हुए अपना और अपने बाल बच्चों का भविष्य संवार सकते हैं. बहरहाल दर्जनों किसान बांस की खेती कर अच्छी खासी आमदनी कमा रहे हैं.
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