सबौर मखाना-1 किसानों के आर्थिक उन्न्यन में बेहद महत्वपूर्ण : डॉ राजनाथ यादव

मखाना आधारित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

By Prabhat Khabar News Desk | June 10, 2024 10:24 PM

पूर्णिया. स्थानीय भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय मखाना आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन का सोमवार को समापन हो गया. मखाना-जलीय कृषि के साथ जलजमाव वाले पारिस्थितिकी तंत्र के उपयोग पर राष्ट्रीय सम्मेलनः चुनौतियां एवं रणनीतियां विषय पर चल रहे कार्यक्रम के तीसरे दिन तकनीकी सत्र सह समापन सत्र का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजनाथ यादव उपस्थित थे जबकि बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के अधिष्ठाता (कृषि) डॉ अजय कुमार साह बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद थे. इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के आखिरी दिन उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डा. पारस नाथ ने कहा कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन की नींव कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर डा. डी. आर. सिंह एवं निदेशक अनुसंधान डॉ अनिल कुमार सिंह के द्वारा रखी गई थी, जो आज धरातल पर पूरी तरह आ पायी. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों ने भाग लेकर मखाना को नजदीक से जाना. हमें आशा है कि आनेवाले समय में वैज्ञानिकों के द्वारा नए नए आयामों पर अनुसंधान कार्य किये जायेंगे. इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ अनिल कुमार ने पूरी सम्मेलन की आख्या को विस्तार पूर्वक प्रस्तुत करते हुए बताया कि जल जमाव क्षेत्रों का विकास बिहार के किसानों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेगा. डॉ. अजय कुमार साह ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा मखाना के सर्वांगिण विकास हेतु मखाना विकास परियोजना के माध्यम से कार्य चलाया जा रहा है. उन्होंने इस बात पर ख़ुशी जतायी कि इसके लिए नोडल सेंटर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय को बनाया गया है. कहा मखाना के विकास में यहां के वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया कार्य आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना पाया है. मुख्य अतिथि डॉ राजनाथ यादव ने सभी युवा वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि आप सभी मखाना के विभिन्न आयामों पर शोध कार्य करें.इससे पूर्व तकनीकी सत्र मे सबसे पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के निदेशक अनुसंधान डॉ अनिल कुमार सिंह ने अपना प्रस्तुतिकरण दिया. कार्यक्रम का सफलता पूर्वक मंच संचालन वैज्ञानिक डा. विकाश कुमार द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा॰ रूबि साहा द्वारा किया गया.

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