चैंबर, रेडक्रांस व नागरिक सुरक्षा की ओर से हॉकरों के बीच बांटे अनाज
चैंबर, रेडक्रांस व नागरिक सुरक्षा की ओर से हॉकरों के बीच बांटे अनाज कोरोना को लेकर 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच हॉकरों को खाद्यान्न सहित अन्य सामग्री मिलने से गदगद हो गये तथा कहा कि इस दुख की घड़ी में हमलोगों के भी दुख दर्द को समझने वाले लोग व संस्था शहर में काम […]
चैंबर, रेडक्रांस व नागरिक सुरक्षा की ओर से हॉकरों के बीच बांटे अनाज
कोरोना को लेकर 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच हॉकरों को खाद्यान्न सहित अन्य सामग्री मिलने से गदगद हो गये तथा कहा कि इस दुख की घड़ी में हमलोगों के भी दुख दर्द को समझने वाले लोग व संस्था शहर में काम कर रही है. मौके पर उपस्थित सत्तारूढ़ दल के सचेतक सह विधायक तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि अखबार के हॉकर बंधु हमारे बीच के लोग है. इनके दुख सुख में हमसभी साथ है. देश में 21 दिनों का लॉकडाउन कारोना से बचाव के लिए सरकार ने लगाया है.
इस समय आपकी भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. सुबह-सुबह घर-घर जाकर लोगों को देश दुनिया व समाज की हर गतिविधियों की खबर पहुंचाने का काम आप कर रहे हैं. विधायक ने कहा कि अखबार से कोरोना नहीं फैलता है. यह बिल्कुल सुरक्षित है. उन्होंने सभी हॉकरों से आह्वान किया कि आप पहले की तरह अखबार बांटे और घर-घर तक अखबार पहुंचाने का काम करें. मौके पर विधान पार्षद अशोक अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि अखबार के हॉकर की जिम्मेदारी से भरा कार्य है. प्रतिदिन घर-घर अखबार को पहुंचाकर लोगों को देश दुनिया व समाज से जुड़ी हर खबर को हर घर तक पहुंचाने का काम करते हैं. यह काबिले तारिफ है. उन्होंने कहा कि अखबार से कोरोना होने की अफवाह मात्र है. इसमें तनिक भी सच्चायी नहीं है.
आप पूर्व की भांति अखबार को घर-घर तक पहुंचाये. हम आपके हर सुख दुख में साथ हैं. इसके साथ ही सोशन डिस्टेंसिंग का पालन करें. बगैर काम के घर से नहीं निकलें. रेडक्रांस के चेयरमैन अनिल चमरिया ने कहा कि चैंबर ऑफ कॉमर्स, रेडक्रांस व नागरिक सुरक्षा के तत्वावधान में आप सभी हॉकरों के बीच खाद्यान्न व अन्य सामग्री देकर आपकों छोटी सी मदद की जा रही है. आपलोग हर विकट स्थिति में डटे हुए हैं. इस संकट में भी घर-घर अखबार पहुंचाकर लोगों को देश, दुनियां की हर गतिविधि व खबरों से रूबरू करा रहे हैं. यह काबिले तारिफ है. इन्होंने भी जोर देकर कहा कि आप लोग किसी अफवाह में नहीं जायें. स्वास्थ्य संगठन ने यह पहले ही साफ कर दिया है कि अखबार से कोरोना नहीं फैलता है. छपने से लेकर वितरण के पूर्व तक सेनिटाइज से होकर अखबार आपके हाथे में पहुंचता है. आप बगैर किसी भय के पहले की तरह घर-घर अखबार पहुंचायें.
हमलोगों की ओर से की जा रही छोटी मदद आपके हौसले को बढ़ाने के लिए है. मंच संचालन कर रहे चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष विमल सिंह बेगानी ने कहा कि कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी ने पूरे विश्व को प्रभावित कर दिया है. इस संकट से उबरने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. आप सभी हॉकर बंधु हमारे लिए इस संकट की घड़ी में खास हैं. आप इस विकट परिस्थिति में भी घर-घर अखबार पहुंचाकर खबरों से रूबरू करा रहे हैं. यह बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने निर्णय लिया कि समाज के अंतिम पंक्ति में अखबार के हॉकर आते हैं. उन्हें भी इस संकट की घड़ी में मदद की दरकार है. इसी कड़ी में सभी को खाद्यान्न व अन्य सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है. कोरोना राहत कार्य एवं जागरूकता अभियान के संयोजक भुवन अग्रवाल ने बताया कि खाद्यान्न वितरण समारोह में 107 हॉकरों के बीच आटा, चावल, नमक, सरसों तेल, चीनी, बिस्कुट, साबुन, आलू, प्याज के पैकेट का वितरण किया गया. संयोजक भुवन अग्रवाल ने बताया कि हॉकरों के जज्बे को हम सभी सलाम करते हैं. इस विकट स्थिति में भी अपने काम को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने सभी हॉकरों व आमलोगों से अपील किया कि सामाजिक दूरी बनाकर रखें, घर से बाहर न निकले. इस अवसर पर सचिव रवि महावर, किशन लाल अग्रवाल, अनिल यादूका, चंचल सुल्तानियां, अशोक डोकानियां, श्रवण मोर, रंजीत जयसवाल, अजय सिंघानियां, नरेश शाह, दिलीप अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, श्रीराम अग्रवाल सहित कई गणमान्य सदस्य मौजूद थे.
शहर में लॉकडाउन की उड़ रही धज्जियां, सोशल डिस्टेंसिंग का भी नहीं हो रहा पालन
शहर में भीड़, ढेला पर सब्जी बेचते एवं सड़क पर दोपहर में सन्नाटा कटिहार. 21 दिनों के लॉकडाउन में 13वें दिन सोमवार को शहर में सुबह में लोगों की भीड़-भाड़ अधिक रही. जैसे-जैसे लॉकडाउन की समय अवधि कम होती जा रही है. लोगों में इसके पालन के प्रति गंभीरता भी कम हो रही है. सुबह छह से लेकर पूर्वाहन 11 बजे शहर में दिखने से लगता ही नहीं है कि लॉकडाउन है. समान्य दिनों की तरह ही लोग लॉकडाउन में अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं. यह स्थिति कोरोना जैसे महामारी को अपनी तरफ दावत देने के समान है. शहर में पुलिस-प्रशासन भी लॉकडाउन को सफल बनाने के प्रति अब पूरी तरह से लापरवाह हो गयी है. यही वजह है कि लोग खुलेआम सुबह व शाम में लोग बगैर किसी डर भय के निकल रहे हैं. शहर के न्यू मार्केट की सबसे ज्यादा खराब स्थिति सुबह छह से पूर्वाहन 11 बजे तक रोज बनी रहती है. वहां तैनात पुलिस के जवान लोगों को सोशन डिस्टेंसिंग का पालन भी कराने के प्रति जागरूक नहीं कर रहे हैं. सब्जी मंडी में लोग एक दूसरे से सटकर सब्जी की खरीदारी कर रहे हैं. यही स्थिति शाम में भी सब्जी खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ के आगे रोजाना हो रहा है. सब्जी मंडी से लकर बाटा चौक व दुर्गा स्थान तक कमोवेश यही स्थिति बनी रहती है. कोई रोकने टोकने वाला नहीं है. चिकित्सकों का हब कहे जाने वाले विनोदपुर में भी यही स्थिति पूर्वाहन 11 बजे देखने को मिली. चिकित्सक को दिखाने के लिए बड़ी संख्या में लोग विभिन्न जगहों से पहुंचे हुए थे. उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना था लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था. न ही वहां बताने वाला कोई था. यही स्थिति कई अन्य जगहों पर भी देखने को मिली. बाइक सवार बगैर काम ही शहर की सड़कों पर फराटे भर रहे हैं. इसके साथ ही प्रधानमंत्री की ओर से जनधन खाते में भेजे गये 1000 रूपये खाते में पहुंची या नहीं यह जानने के लिए शहर के सभी बैंकों में सुबह 10 बजे से भीड़ लग गयी. एक साथ सैकड़ों की तादाद में पहुंची महिलाओं के कारण कारण बैंक स्टॉफ की स्थिति खबरा हो गयी. कोई अपना खाता अपडेट करने पहुंचा था तो कोई यह जानने की उनके खाते में राशि आयी है या नहीं तो कोई राशि निकलने. सभी बैंकों में महिलाओं की भीड़ दोपहर दो बजे तक लगी रही. जबतक बैंक बंद नहीं हो गया. इनमें से आधे से अधिक महिलाएं तो बगैर काम कराये ही लौटने को विवश हुई. लाखों के पटाखे लोगों ने दीप जलाने के साथ फोड़ डालेप्रधानमंत्री के आह्वान पर रविवार की रात नौ बजे, नौ मिनट तक दीप जलाने, मोमबत्ती व मोबाइल फ्लैश लाइट जलाने के आह्वान पर लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. लोगों ने नियत समय पर अपने घरों की लाइट बंद कर दरवाजे, बॉलकनी, छतों पर दीप, मोमबत्ती जलाकर तथा मोबाइल लाइट जलाकर पूरे शहर को जगमग कर दिया. लेकिन इस दौरान लाखों के पटाखे भी लोगों ने फोड़ डाले. पूरे जिले में यह स्थिति देखने को मिली है. एक अनुमान के मुताबिक शहर में ही कम से कम पांच लाख से अधिक के पटाखे फोड़े गये. जबकि पूरे जिले को मिला दिया जाय तो यह आंकड़ा बढ़कर 10 लाख से अधिक पहुंच जायेगा. ऐसे में कई लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतने पटाखे लॉकडाउन के बीच कहां से आये. कई लोगों का कहना है कि दीपावली में लोगों के घरों में बचे पटाखे फोड़े गये हैं. ई
रिक्शा चलना बंद हुआ तो ढेला पर बेचनी शुरू कर दी सब्जी
लॉकडाउन की वजह से अधिकांश रोजगार, धंधा बंद हो गया है. जिसके कारण गरीबों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. रोज कमाने व खाने वाले लोगों के सामने दो वक्त की रोटी जुगाड़ कर पाना कठिन हो गया है. ऐसे समय में कई लोगों ने लॉकडाउन के बीच अपने किये जा रहे कार्य को बदलकर दूसरे काम में जुटे हैं. शहर के गौशाला निवासी सुरेश पहले ई रिक्शा चलाकर प्रतिदिन तीन से चार सौ रूपये काम ले रहे थे. इससे उनके घर का भरण पोषण ठीक-ठाक तरीके से हो रहा था. लेकिन कोरोना की वजह से सरकार के लगाये लॉकडाउन से उनका रोजगार पूरी तरह से बंद हो गया. शुरूआत में ई रिक्शा लेकर घर से निकले तो पैसेंजर नहीं मिला तथा कई जगह पुलिस की डांट के साथ मार खानी पड़ी. ई रिक्शा बंद होने से घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया. भूखे मरने की नौबत आ पड़ी. काफी सोच समझकर उन्होंने ढेला पर घूम-घूमकर सब्जी बेचने की ठानी. वह रोज सब्जी मंडी से सब्जी सुबह में लेकर शहर के पॉश मुहल्ले में घूम-घूमकर सब्जी बेचने को काम करने लगे. इससे उन्हें प्रतिदिन दो से तीन सौ रूपये की कमाई हो जा रही है. जिससे घर परिवार ठीक से चल रहा है.