दीपावली पर मिट्टी का दीये जलाना होता है सुखद
दीपावली पर मिट्टी का दीये जलाना होता है सुखद
दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाकर तेज आवाज वाले पटाखों के नुकसान से रहेंगे सचेत
दीपावली पर मिट्टी का दीये जलाना होता है सुखद व अनुभूत अनुभव
इंडस्ट्रीयल एरिया मोहल्ले के टेऊमल वर्ल्ड स्कूल के बच्चों ने लिया संकल्पकटिहार दीपावली दीयों का त्योहार है. आदिकाल से दीपावली पर मिट्टी का ही दीपक जलाने की परंपरा है. मिट्टी के दीयों को कतारबद्ध सजाना उसमें तेल भरना, बाती रखना और फिर उसे प्रज्जवलित करना अद्भूत अनुभव है. मिट्टी के दीयों काे जलते हुए देखना एक सुखद अहसास है. उमंग से भर जाता है लेकिन बीते दो दशक के दौरान कृत्रिम लाइट पर अधिक निर्भर हो गये हैं. आधुनिकता की दौर में हम अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए इस दीपावली पर हमें मिट्टी का दीपक जलाने का संकल्प लेना है. इसी उद्देश्य के साथ प्रभात खबर की ओर से चलाये जा रहे प्रभात अभियान आओ मिट्टी का दीया जलायें पर्यावरण बचायें के क्रम में शुक्रवार को शहर के इंडस्ट्रीयल एरिया कटिहार मोहल्ले के टेऊमल वर्ल्ड स्कूल में छात्र-छात्राओं को शिक्षक व शिक्षिकाओं ने दीपावली पर पटाखे नहीं फोड़ने व मिट्टी के दीप जलाने का संकल्प दिलाया गया. विद्यालय के उप प्राचार्य माधुरी के नेतृत्व में विद्यालय के सभी बच्चे-बच्चियों ने यह शपथ ली की मिट्टी के दीये प्रज्जवलित कर दीपावली मनायेंगे और पर्यावरण बचायेंगे. कार्यक्रम में बच्चों ने कहा कि तेज आवाज के पटाखों से भी परहेज करेंगे.
स्कूल के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने कहा कि तेज आवाज वाले पटाखों से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं. इससे हर हाल में परहेज करें. मानव कान 60 से 65 डेसीबल शोर को सहन कर सकते हैं. कई पटाखों की आवाज 100-120 डेसीबल से भी जयादा होती है. तेज आवाज वाले पटाखों से कान के परदें फटने का खतरा अधिक रहता है. इनसे स्कीन, एलजी, सांस लेने में तकलीफ, हाईब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हो सकती है. पटाखें के धुंए से सांस संबंधित रोग बढते हैं. दिल के मरीज को धुंओं से बच कर रहना चाहिए. पटाखे फोड़ने से वातावरण में गर्मी, कार्बनडाइऑक्साइड और कई जहरीली गैसें बढ़ती है. इससे ग्लोबल वार्मिंग होती है. पटाखों की तेज आवाज से जानवर डर जाते हैं और कंपकपी, लार टपकाना, चीखना, मनोविकृत या अत्यधिक भौंकना शुरू कर देते हैं.
मिट्टी के दीये जलाने से लाभ———————————
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपावली के पर्व पर मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि ग्रह दोनों मजबूत होते हैं. मिट्टी का दीपक जलाने से लक्ष्मी का वास होता है. इसके साथ ही परिवार के सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है. मिट्टी के दीये को शुभता का प्रतीक माना जाता है. मिट्टी के दीये में पंचतत्व होते हैं. मिट्टी के दीये जलाने से मानसिक और शारीरिक तनाव दूर होता है. मिट्टी के दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है.
मिट्टी के दीप पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होते हैं.फोटो 9 कैप्शन- अविनाश मध्याहनी
दिवाली में मिट्टी के दीए जलाना हमारी संस्कृति और प्रकृति से जुड़ने का सबसे बेजोड़ साधन है. ये भारतीय संस्कृति में बहुत ही शुभ और पवित्र माने जाते हैं. मिट्टी के दीए प्रेम, समरसता और ज्ञान का प्रतीक है. सामाजिक व आर्थिक आधार पर भी दीयों की खूबसूरती जगजाहिर है. इस बार दीपावली के दिन मिट्टी के दीये जलाने का संकल्प से ही संस्कृति का बचाव संभव है.
अविनाश मध्याहनी, निदेशक, टेऊमल वर्ल्ड स्कूलफोटो 10 कैप्शन- प्रताप टोप्पो
आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त हो रही है. इससे कई तरह के समाजिक, पर्यावरण पर प्रभाव पड़ने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता है. पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी है आमजनों को दीपोत्सव पर मिट्टी के दीये जलाने के लिए संकल्प लें. इस दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दीये जलायें तभी पर्यावरण बचाने में हम सफल हो पायेंगे.
प्रताप टोप्पो, प्राचार्यफोटो 11 केप्शन- माधुरी गुप्ता
आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त होना खतरे की घंटी बजाने जैसा है. इससे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ गयी है. पर्यावरण को बचाने के लिए आमलोगों को दीपोत्सव पर मिट्टी के दीये जलाने के लिए संकल्प लें. इस दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दीये जलायें तभी पर्यावरण बचाने में सफल हो पायेंगे.माधुरी गुप्ता, उप प्राचार्य
फोटो 12 कैप्शन- शायन्तिका मिट्टी के दीये प्रेम, समरसता और ज्ञान का प्रतीक है. सामाजिक और आर्थिक आधार पर भी दीयों की खूबसूरती जगजाहिर है. रंगोली और दीये वाली प्रदूषण मुक्त दिवाली मनायें. दीपावली में इस बार मिट्टी के दीये से घरों को रौशन करें. ताकि सकारात्मक ऊजा बने. मिट्टी के दीये का धामिक महत्व भी है.शायन्तिका, शिक्षिका
फोटो 13 कैप्शन- नेहा पल्ल्वी दीपावली खुशियों का त्योहार है पर हमें दिवाली मनानी है तो पर्यावरण का भी ख्याल रखना होगा. मगर इस दिन लोग दीये की जगह रंग बिरंगी बल्ब व झालर जलाकर घरों को सजाते हैं. मिट्टी के दीये प्रेम, समरसता और ज्ञान का प्रतीक है. सामाजिक और आर्थिक आधार पर भी दीयों की खूबसूरती जगजाहिर है.नेहा पल्ल्वी, शिक्षिका
फोटो 14 कैप्शन- खुशबू कुमारी पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित दिवाली मनाने के बारे में सोचना होगा. इस लिहाज से इलेक्ट्रोनिक लाइटों के बदले मिट्टी के दीये का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें, इससे परंपरा का निर्वाह होगा.खुशबू कुमारी, शिक्षिका
फोटो 15 कैप्शन-खुशनूमा खातून दिवाली पर अधिक से अधिक मिट्टी के दीये जलाने का प्रयास करें. इससे परंपरा का निर्वाह होगा और मिट्टी के दीपक बनाने वाले को भी आर्थिक मदद मिल जायेगी.खुशनूमा खातून, शिक्षिका
फोटो 16 कैप्शन-ऋषि आनंद मिट्टी का दीया हमारी परंपरा को जीवंत रखेगा. अतिरिक्त बिजली की बचत भी होगी. कोशिश यह हो कि दिवाली की खुशिंयों में हम पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचायें.ऋषि आनंद, शिक्षक
फोटो 17 कैप्शन- निलाश्मा चौधरी मिट्टी का दीया जलाकर दीपावली मनायें. पर इस दिन पटाखे से पूरी तरह परहेज करें. इलेक्ट्रोनिक बल्ब व झालरों से ऊर्जा की खपत अधिक होगी. साथ ही मिट्टी के दीपक बनाने वाले बेरोजगार होंगे.निलाश्मा चौधरी, शिक्षिका
फोटो 18 कैप्शन-गौरवसेन गुप्ता पटाखें से निकलने वाले रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. इस दिवाली को हम सभी लोग पटाखे रहित प्रदूषण रहित व प्राकृतिक पोषक त्योहार के रूप में मनायें.गौरवसेन गुप्ता, शिक्षक
फोटो 19 कैप्शन- कमल कृष्ण नायक घरों को रौशन करने के लिए मिट्टी के दीयों का ही इस दीपावली पर इस्तेमाल करें. दीपावली में बिजली के झालर की जगह मिट्टी के दीये जलायें. इससे कई तरह की समस्याओं का निदान होगा.कमल कृष्ण नायक, शिक्षक
फोटो 20 कैप्शन- जोयदेव मुर्मू दीपावली का मतलब ही है. मिट्टी का दीया पर हम सब बिजली के जगमाते झालर लगाते हैं. इससे बिजली का अनावश्यक खर्च बढ़ता है. हुनर वाले हाथों पर भी ब्रेक लगता है. नुकसान पहुंचता है इसलिए पटाखे की जगह दीया जलाकर प्रकाश पर्व मनायें.जोयदेव मुर्मू, शिक्षक
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