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इस रक्षाबंधन बाजार में जूट की राखियां भी मिलेंगी, बिहार के किसान कर रहे तैयार

रक्षाबंधन 19 अगस्त को है. ऐसे में राखी बनाने वाले लोग इसकी तैयारी में जुट गए हैं. इस बार बिहार के कटिहार जिले के किसान खास तरह की राखी तैयार कर रहे हैं. ये राखियां जूट से बनेंगी. इसके लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों की मदद भी की जा रही है. राखियां तैयार होने के बाद महिला किसान विभाग की ओर से मुख्यमंत्री, प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम, एसपी को जूट की राखियां भेजेंगी. इन राखियों पर कटिहार से सरोज कुमार की विशेष रिपोर्ट पढ़ें...

Special Rakhi: भाई बहनों के अटूट स्नेह व प्यार के प्रतीक रक्षा बंधन त्योहर पर यूं तो रेशम की डोर से तैयार राखी का क्रेज हमेशा से रहा है. एक परंपरा भी रहा है. लेकिन इस रक्षाबंधन के त्योहार में रेशम की डोर के साथ जूट की रंग बिरंगी राखियां बाजार में भाई बहनों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी. ऐसा इसलिए कि पहली बार जूट की राखी को तैयार कर जिले के जूट किसान बाजार में उतारने के लिए प्लानिंग कर रहे हैं. ऐसा उपपरियोजना निदेशक एसके झा का भी कहना है.

तीस किसान जुट की राखी बनाने में हो चुके हैं निपुण

एसके झा का मानना है कि कोलकाता से आयी दो मास्टर ट्रेनर जिले के 40 किसानों को जूट से संबंधित कई तरह के सामान बनाने की कला को सिखा रही है. इससे पूर्व जिले के तीस किसान कोलकाता जाकर जूट की राखी बनाने की कला में निपुण हो चुके हैं. वे किसान खासकर महिला किसानों ने जूट की रंग बिरंगी राखियां बनाकर रक्षाबंधन के त्योहार में बाजार में उतारने के लिए सोच रही है.

मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी राखी

उपपरियोजना निदेशक एसके झा ने बताया कि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो सबसे पहले जिले के डीएम, एसपी, पूर्णिया प्रमंडलीय आयुक्त, मुख्यमंत्री समेत विभागीय मंत्री को जूट की राखी इस बार रक्षाबंधन त्योहार से पूर्व भेजी जायेगी. एक माह पूर्व कोलकाता आईसीआर गये किसान व वर्तमान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे किसानों द्वारा जूट की राखी बनाने में मग्न हैं. समय पर अधिक से अधिक जूट की राखी बनकर तैयार हो सके इसको लेकर कृषि विभाग भी किसानों को मदद करने के लिए तैयार हैं. किसान रविशंकर श्रवणे, पंकज कुमार निराला समेत अन्य की माने तो जूट की राखी बनाने की विधि सरल है.

कोलकाता के वैज्ञानिक के संपर्क में रह बनायेंगे राखी

रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के प्रेम के लिए खास माना जाता है. इस दिन बहने अपने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर भाई की दीघायु की कामना करती है. दूसरी ओर भाई ताउम्र अपनी बहन की मान सम्मान की रक्षा ताउम्र करने का वचन लेता है. यह परंपरा युगों युगों से चलते आ रहा है. इसमें रेशम की धागा का महत्व है.

प्रशिक्षण प्राप्त किसान पंकज कुमार निराला, रविशंकर श्रवणे व प्रशिक्षण प्राप्त कर रही कई महिला किसानों का कहना है कि जूट की राखी बनाने के लिए जूट की चोटी, जूट का धागा जरूरी है. साथ ही अधिक ब्लीच किये जाने से इसमें चमक बढ़ जाती है.

जरूरत पड़ने पर कोलकाता के वैज्ञानिकों व मास्टर ट्रेनरों के संपर्क में रहकर कार्य को आगे बढ़ाया जायेगा. उन लोगों की माने तो इसके लिए मैटेरियल कोलकाता से मंगाया जायेगा. राखी बनाने में मोटा पेपर, मोती का प्रयोग किया जायेगा. इसके निर्माण में मेहनत व कुछ राशि का उपयोग कर इसे आकर्षक बनाया जा सकता है. उनलोगों की माने तो अन्य राखियों के अपेक्षा जूट की राखी अधिक सस्ती होगी.

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हाइस्पीड मशीन से होगा सहयोग

उपपरियोजना निदेशक एसके झा की माने तो प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके जूट किसानों को विभाग की ओर से हाईस्पीड मशीन के माध्यम से सहयोग किया जा सकता है. वर्तमान में चार से पांच हाईस्पीड मशीन से जूट से संबंधित कई तरह के सामानों के बनाने को लेकर चालीस एससी किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.

प्रशिक्षण ले चुके किसान व प्रशिक्षण ले रहे किसान रक्षाबंधन पर जूट की राखी बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं. बाजार में उतारने को लेकर कार्य करना चाहते हैं तो उन्हें हाईस्पीड मशीन उपयोग करने के लिए छूट दी जा सकती है. इसके मद में जरूरत पड़ने वाली मैटेरियल की डिमांड के अनुसार कोलकाता से उपलब्ध कराया जा सकता है.

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