Katihar News : तीखी मिर्च किसानों के जीवन में घोल रही मिठास
कटिहार के फलका प्रखंड में 200 एकड़ से अधिक जमीन पर मिर्च की खेती हो रही है. पांच एकड़ की खेती में 60 लोगों को रोज काम मिलता है. इसकी खेती में किसानों को लागत से छह गुना ज्यादा मुनाफा मिल रहा है.
Katihar News : अली अहमद, फलका.फलका प्रखंड के किसान यूं तो केला और मक्का खेती के लिए जाने जाते हैं. लेकिन केला में पनामा बिल्ट नामक गलवा रोग होने के बाद किसानों ने इसकी खेती कम कर दी है. अब किसान मक्के के साथ-साथ आलू और हरी मिर्च की सहफसली खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. स्वाद में तीखी मिर्च यहां के किसानों के जीवन में मिठास घोल रही है. आर्थिक रूप से समृद्ध कर रही है. इन दिनों बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती कर किसान अपनी जिंदगी में खुशहाली ला रहे हैं. यहां की मिर्च पटना, रांची जैसे बड़े शहरों के अलावा दिल्ली और दूसरे देशों में भी भेजी जाती है.
प्रति एकड़ 16 टन ले रहे उपज
परंपरागत खेती से हट कर कटिहार जिले के फलका प्रखंड के दर्जनों किसान अब मिर्च की खेती कर रहे हैं.फलका के सोहथा दक्षिण के युवा किसान ने एक एकड़ में शिमला मिर्च लगायीथी. प्रति एकड़ 16 टन उपज ली. 40 रुपये से लेकर 80 रुपये प्रति किलो की दर से मिर्च का भाव अब तक उठा चुके हैं.सालेहपुर पंचायत अंतर्गत महेशपुर गांव के युवा किसान अब्बू व आसिफ इकबाल ने पांच एकड़ में मिर्च की खेती की है. खेत में रोज 50 से 60 गांव वालों को मिर्च तोड़ने का काम मिल जाता है. एक किलो मिर्च तोड़ने के एवज में पांच रुपये मिलते हैं. एक मजदूर 20 से 22 किलो मिर्च तोड़ लेते हैं. जून-जुलाई में खुद नर्सरी तैयार करते हैं. एक बार की खेती में चार से पांच लाख रुपये तक की बचत कर लेते हैं.फलका प्रखंड के पिरमोकाम के जनकपुर मोरसंडा, सोहथा दक्षिण, उत्तर, गोविंदपुर, हथवाड़ा, भरसिया, भंगहा, सालेहपुर, भरसिया, शब्दा पंचायतों में किसान बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती कर अपनी आमदनी दोगुनी कर रहे हैं.
किसानों को मिल रहा बंपर मुनाफा
बड़े स्तर पर मिर्च की खेती कर रहे महेशपुर गांव के किसान कमर जमाल हासमी उर्फ अब्बू कहते हैं कि हमने पिछले साल साढ़े तीन बीघे में मिर्च की खेती की है. इसमें लगभग 30 से 40 हजार रुपये प्रति बीघा की लागत आयी है. इसमें हमें लागत हटाकर अब तक दो लाख 30 हजार रुपये की कमाई हुई है. अगर किसी बीमारी का प्रकोप न हुआ तो मिर्च से लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये की आमदनी और मिलने का अनुमान है. लक्ष्मी एवं 5424 जैसी किस्में इस क्षेत्र ज्यादा रोपाई की जाती है. इस बार सात एकड़ में मिर्च की खेती कर रहे हैं. महेशपुर गांव के युवा किसान आसिफ व जहांगीर, सलीम कहते हैं, हमने इस वर्ष करीब चार-चार एकड़ में मिर्च की खेती की. जिसमें हमारी लागत लगभग ढाई लाख रुपये रुपये लगी है. अभी तक हुई आमदनी की बात करें तो एक एकड़ में करीब दस क्विंटल मिर्च तोड़ चुके हैं. 40 रुपये लेकर 80 रुपये प्रति किलोग्राम बिक्री कर चुके हैं. एवरेज 50 रुपये किलो उपज हुई है. मिर्च की सहफसली खेती से अभी तक चार से पांच लाख रुपये की आमदनी कर चुके हैं.फलका के किसान बंटू शर्मा, धर्मेंद्र कुमार कहते हैं फलका लाली सिंघिया जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में अब परंपरागत खेती के मुकाबले न केवल उनकी आय में इजाफा हो रहा है बल्कि आस-पास के गांवों के किसानों का भी मन व्यवसायिक खेती करने पर केंद्रित हो रहा है.
प्रतिदिन 400 बैग मिर्च भेजी जाती है बाहर
फलका के बड़े व्यापारी राजेश कुमार गुप्ता उर्फ घोलटू कहते हैं कि इस इलाके से 300 से 400 बैग प्रति दिन मिर्च पटना, नवादा, सिलिगुड़ी जैसे बड़े शहरों में भेजी जाती है. इससे यहां के आम लोगों को रोजगार मिल रहा है. मजदूरों को फायदा हो रहा है. किसान मालामाल हो रहे हैं. वाहन वालों को भी फायदा हो रहा है. कृषि कार्यालय के आंकड़े के मुताबिक, फलका में पांच साल पहले 20 से 25 एकड़ में मिर्च की खेती होती थी. आज दो सौ एकड़ से भी अधिक मिर्च की खेती हो रही है.