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Katihar news : मोदी मखाना ब्रांड ने गुलफराज को बना दिया सफल व्यवसायी

Katihar news : खुला मखाना के जगह पर अपना ब्रांड बनाकर बेचने के लिए नेशनल मखाना उद्योग के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया.

Katihar news : कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के चरखी ग्राम निवासी एक राजमिस्त्री के पुत्र गुलफराज अपनी लगन व मेहनत के चलते क्षेत्र के दर्जनों युवाओं के रोल मॉडल बन गये हैं. उन्होंने गरीबी के दलदल से निकलकर मखाना व्यवसाय के क्षेत्र में ऐसी पैठ जमा ली है कि आज उनकी गिनती सफल व्यवसायी की श्रेणी में होने लगी है. उनके अथक मेहनत व परिश्रम के बदौलत ही कई राज्यों में कोढ़ा का मखाना बिक रहा है. गुलफराज के पिता सुलेमान राज मिस्त्री का कार्य कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. सुलेमान के दो पुत्र व चार बेटियां हैं. सुलेमान ने राज मिस्त्री का कार्य करते हुए अपने बाल बच्चों को पढ़ाया. पढ़ाई में अव्वल रहनेवाले गुलफराज दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज से 2019 में बीटेक किये. इसी दौरान कॉलेज में ही स्टार्टअप को लेकर सेमिनार हुआ था. यह सेमिनार बिहार उद्यमी संघ की ओर से आयोजित किया गया था. उस सेमिनार में नये स्टार्टअप को लेकर कई प्रकार के प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई. यहीं से गुलफराज के अंदर व्यवसाय में किस्मत आजमाने की अभिलाषा जगी. इसके बाद उन्होंने बिहार सरकार के स्टार्टअप योजना के लिए अप्लाई किया. पर, उनका चयन नहीं हो पाया. बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मखाना के बिजनेस पर फोकस करते हुए आगे काम करने का निर्णय लिया.

कर्ज लेकर शुरू किया व्यवसाय

गुलफराज ने महाजनों से ब्याज पर कर्ज लेकर मखाना व्यापार की शुरुआत की. चूंकि कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में वृहत पैमाने पर मखाना की खेती होती है, इसलिए प्रखंड क्षेत्र के किसानों व मजदूरों से मखाना खरीदने की उन्होंने शुरुआत की और दिलो जान से व्यवसाय में भिड़ गये.

पीएम के नाम पर रखा अपने ब्रांड का नाम मोदी मखाना

गुलफराज बताते हैं कि लॉकडाउन के समय कई कारणों से घाटे का सामना भी करना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खुला मखाना के जगह पर अपना ब्रांड बनाकर बेचने के लिए नेशनल मखाना उद्योग के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया. अपने ब्रांड का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मोदी मखाना रखा. उसके बाद बैंक से लोन प्राप्त कर किसानों से नकद में माल खरीद कर मोदी मखाना को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ जानकारियां डालीं. देखते ही देखते कई जगह से ग्राहकों के फोन आने लगे.

यूनिट में 40 मजदूरों को दे रहे काम

उन्होंने बताया कि अभी फिलवक्त दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज जिले के मखाना किसानों से कच्चा माल खरीद कर अपने यूनिट में मखाना फोड़ी करवा रहे हैं. इसमें करीब 40 मजदूर काम कर रहे हैं. मजदूर भी इस बात को लेकर खुश हैं कि पहले रोजी-रोटी को लेकर अन्य राज्यों को पलायन करना पड़ता था, पर अब यहीं काम मिल रहा है.

ऑनलाइन शाॅपिंग प्लेटफॉर्म पर भी है उपलब्ध

गुलफरारज ने बताया कि मोदी मखाना की सफलता के बाद उन्होंने मखाना का रोस्टेड आइटम भी बनाना शुरू किया है. आज देश के करीब दो दर्जन मार्केट में यह उपलब्ध है. इसके अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के तीन प्लेटफॉर्म पर भी मोदी मखाना उपलब्ध है. अपने प्रोडक्ट को विदेश में भी एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए जो मानक होते हैं, उस मानक के अनुसार मशीन भी लगायी गयी है. व्यापारियों के साथ उनकी बातचीत हो रही है. विदेश में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए कोढ़ा में ही इसी वर्ष चौथा प्लांट तैयार हो जायेगा.

मखाना महोत्सव में में भी लिया है भाग

बिहार सरकार के उद्योग विभाग की ओर से 13 से 22 अगस्त तक लखनऊ में आयोजित बिहार कनेक्ट फेयर में कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड के चरखी ग्राम स्थित नेशनल मखाना उद्योग ने अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करायी है. पटना के ज्ञान भवन में आयोजित मखाना महोत्सव में प्रदर्शनी में भी भाग लिया है. यहां मखाना महोत्सव के दौरान कोढ़ा के मखाना की जमकर प्रशंसा भी हुई.

पिता व चाचा ने पहले किया था विरोध

युवा उद्यमी गुलफराज बीटेक करने के बावजूद नौकरी की लालसा छोड़ व्यवसाय में हाथ आजमाना चाहते थे, पर उनके इस निर्णय से पिता व चाचा सहमत नहीं थे. हालांकि गुलफराज की मेहनत देख बाद में पिता व चाचा ने अपनी जमीन गिरवी रखकर व्यवसाय को विस्तार देने के लिए आर्थिक सहयोग भी किया. अब अपनी लगन के चलते ही गुलफराज गरीबी के दलदल से निकलकर एक कामयाब व्यवसायी की श्रेणी में आ पहुंचे हैं.

मखाना प्रोसेसिंग में बेहतरीन काम कर रहे

जिला उद्यान पदाधिकारी मधु प्रिया ने बताया कि गुलफराज ने मखाना प्रोसेसिंग के रूप में बहुत बेहतरीन काम कर रहे हैं. मोदी मखाना से कटिहार की देश-विदेश में पहचान बन रही है. इनसे प्रेरित होकर अनेक लोग इस क्षेत्र में काम शुरू कर रहे हैं. उद्योग विभाग से भी इसके लिए मदद मिली थी.

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