Katihar News : एडी खुशबू, कोढ़ा. कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र मखाना की खेती के लिए अलग पहचान रखता है. मखाना के बेहतर उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां की मिट्टी मखाना खेती के लिए उपयुक्त है. इस कारण यहां के किसानों का उपजाया गया मखाना उच्च स्तर का माना जाता है. बेहतरीन क्वालिटी के कारण ही कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र से उत्पादित मखाना की मुल्क के विभिन्न प्रांतों के अलावा अन्य देशों में डिमांड में है. इस क्षेत्र के किसान नकदी फसल के रूप में मखाना की खेती को प्राथमिकता देते हैं. उर्वरा शक्ति से भरपूर भूमि व मेहनती किसानों के बल पर क्षेत्र ने यह मुकाम हासिल किया है. मखाने की खेती कर किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं. वहीं पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मखाना की कीमत अधिक होने से किसानों के चेहरे पर चमक है.
मखाना के बेहतर बाजार भाव से खुश हैं किसान
मखाना का बाजार भाव अच्छा होने के कारण मखाना किसान गदगद नजर आ रहे हैं. किसानों के चेहरे खिले हैं. महज दस वर्ष पूर्व कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र केला की खेती के लिए प्रसिद्ध था. केला की फसल के उत्पादन में भी अच्छा मुकाम हासिल था. पर अचानक केले की खेती में पनामा विल्ट नामक रोग का ग्रहण लग गया. इस कारण केला किसानों को लगातार घाटा लगने लगा. इस कारण केला की खेती के तरफ से अधिकांश किसानों ने मुंह मोड़लिया. फिर मखाना खेती की तरफ ध्यान लगाने लगे. यही वह एकमात्र कारण रहा जिससे किसानों ने अधिक प्रयास व मेहनत की. मखाने की खेती में भी सफल रहे. किसानों के प्रयास का ही परिणाम है कि आज यहां बड़े पैमाने पर मखाना की खेती होती है और अच्छी पैदावार भी.
मखाना फोड़ने में मजदूरों को भी मिल रहा रोजगार
कोढ़ा क्षेत्र में दर्जनों जगह मखाना की गुड़ियाफोड़ी का कार्य भी जोर-शोर से होता है. स्थानीय स्तर पर उपजाये हुए मखाना की अच्छी खासी मांग होने के कारण अनगिनत कृषक व व्यवसायी इस कारोबार में जी जान से लगे हैं. जबकि मजदूरों को भी रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हो रहे हैं. कमाई के लिए उन्हें दिल्ली-पंजाब का रुख नहीं करना पड़ता.
मकदमपुर के हर घर में होती है मखाना फोड़ी
कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न इलाके में मखाना फोड़ने का कार्य तो होता ही है. पर एक गांव मखदुमपुर है, जहां कोई भी घर मखाना फोड़ी से अछूता नहीं है. यह गांव मखाना फोड़ी के कारण ही हर घर को रोजगार मिला है. कमोबेश हर घर के हर सदस्य मखाना फोड़ी के कार्य से जुड़ेहैं. इस रोजगार आत्मनिर्भर हो रहे हैं. आर्थिक समृद्धि भी आ रही है. इस फसल से हो रही उन्नति के कारण ही यहां के लोग मखाना को ”सफेदसोना” कहते हैं.
32 हजार की लागत, दो लाख रुपये आमदनी
प्रखंड क्षेत्र के किसान अरुण कुमार, तबरेज, जहांगीर, अनिल कुमार, राजेश कुमार आदि ने बताया कि एक बीघा मखाना की खेती में करीब 30 से 32 हजार की लागत आती है. इस वर्ष सही समय पर बारिश नहीं होने के कारण पानी जमा करने में काफी परेशानी हुई, क्योंकि मखाना खेती में पानी की बड़ी आवश्यकता होती है. पंपसेट से पटवन करना पड़ा. इस कारण खर्च 40 हजार तक पहुंच गया. इस वर्ष बाजार में कच्चा मखाना तीस हजार रुपये क्विंटल बिक रहा है. एक एकड़ से करीब दो लाख रुपये की बिक्री हो रही है. मखाना का वर्तमान भाव देख इस वर्ष मखाना खेती का रकबा बढ़ाने की संभावना है. मखाना खेती व इसके कारोबार से प्रभावित होकर जीविका दीदी भी मखाना कारोबार से जुड़ रही हैं.