कटिहार. मैं तो अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग आते गये और कारवां बनता गया के माध्यम से कटिहार मेडिकल काॅलेज के 36वां फाउंडेशन डे के मौके पर अल करीम विवि के कुलाधिपति डॉ अहमद अशफाक करीम ने मौजूद फाउंडेशन सदस्यों व कॉलेज के सीनियर शिक्षक व विद्यार्थियों का हौसलावर्द्धन किया. विपरीत परिस्थितियों के बावजूद किस तरीके से इसे मंजिल तक पहुंचाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा से लोगों को अवगत कराया. उन्होंने कटिहार मेडिकल कॉलेज के फाउंडेशन सदस्यों व शिक्षकों के साथ को याद कर बताया कि कटिहार मेडिकल कॉलेज को मंजिल तक पहुंचाने में उनकी महती भूमिका को भूलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने बताया कि जो ख्वाब उन्होंने देखा था. वह साकार हुए और 36वां बैच का नामांकन हो गया है. मेडिकल कॉलेज शोहरत की दुनिया में अव्वल स्थान पर पहुंच गया है. यहां से पढ़कर चिकित्सक बने छात्र बिहार, हिन्दुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में कटिहार मेडिकल कॉलेज व अपने खानदान का नाम रौशन कर रहे हैं. 1987 में फाउंडेशन सीनियर शिक्षकों के रूप में डॉ डीएन तिवारी, प्रो डीके श्रीवास्तव, प्रो पीके अग्रवाल इनके अलावा कई शिक्षकों के नामो गिनाया. उनके पढ़ाने की कला कौशल से छात्र छात्राओं को अवगत कराया. मेडिकल कॉलेज खोलने में ट्रस्ट के सदस्यों की भी अहम भूमिका रही. मंगलवार को कॉलेज के 36वां फाउंडेशन डे धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान केक काटकर व बैलून फोड़कर एक दूसरे को बधाई दी गयी. मौके पर शिवा हुसैन की लिखित पाटोग्राफ टू पुस्तक का विमोचन किया गया. किताब के उद्देश्यों को लेकर शिवा हुसैन ने बताया कि गांव में डिलेवरी नहीं कराकर अस्पताल में डिलेवरी हो. इस पुस्तक में लेबर रूम के एक्टिविटी से कई तथ्य जुड़े हैं. समय मिलने पर इसे हिन्दी में अनुवाद कर आशा कर्मियाें के बीच वितरण किया जायेगा. फोटोग्राफ टू पुस्तक को लेकर जानकारी दी कि महिला लेबर रूम में जाती है तो इसे चिन्हित किया जाता है कि नॉर्मल डिलेवरी हो या सिजर कर यह पुस्तक महिलाओं के लिए खास साबित होगी. इस मौके पर केएमसी के कई वरीय व कनीय शिक्षक, छात्र- छात्राएं माैजूद थे.
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