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धान रोपनी होने से तैयार मक्के की फसल काटने को नहीं मिल रहे मजदूर

खेतों में पक्के व तैयार फसल को अधिक मजदूरी देकर कटाने को विवश हैं किसान

कटिहार. मानसून के बीच उमस भरी गर्मी के कारण आमजन जहां परेशान हैं. दूसरी ओर मौसम के लुकाछुपी से मक्का किसान हैरान हैं. ऐसा इसलिए कि एक ओर जहां धानरोपनी ताबड़तोड़ होने के कारण मजदूरों की किल्लत हो गयी है. बदलते मौसम के बीच फरवरी मार्च में लगाये गये मकई फसल पके जाने के बाद काटने को लेकर किसान हैरान हैं. एक सप्ताह से आसमान में बादल छाये रहने के कारण किसानों के बीच तैयार मकई को काटने को लेकर ऊहापोह की स्थिति बरकरार है. कई किसानों की माने तो एक ओर जहां मजदूर जिला से बाहर बक्सर सहित अन्य जगहों पर धनरोपनी के लिए चले जाने और सुबह दोपहर शाम में आसमान में बादल छाये रहने के कारण किसान मकई फसल कटाने को लेकर मजदूरों के दहलीज का चक्कर काटने को विवश हैं. दलन पूरब पंचायत के किसान हरि शंकर चौधरी, रामनाथ सिंह, सुरेंद्र कुमार सिंह, अनिल सिंह समेत अन्य की माने तो उनलोगों ने फरवरी मार्च में करीब 20 से 40 बीघा जमीन में मकई की खेती की है. खेतों में मकई फसल पककर तैयार हो गया है. लेकिन इसे कटाने को लेकर जब तब मन बनाया जाता है कि आसमान में बादल घेर लिए जाने के कारण मजदूर खेतों में जाने से परहेज करने लगते हैं. कब बारिश हो जाये इसको लेकर उनलोगों के बीच भी ऊहापोह की स्थिति रहती है. किसान रविशंकर श्रवणे की माने तो केवल उन्होंने सात बीघे में मकई की खेती की थी. जिसमें बोने से लेकर पटवन तक करीब पन्द्रह से बीस हजार रूपये लागत आये. अब जब मकई काटने की बारी आयी तो मजदूरों के लाले व आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादल के कारण खेतों में ही मकई पककर बर्बाद होने की चिंता खाये जा रही है. कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक पंकज कुमार का कहना है कि अगले तीन दिनों तक आसमान में करीब साठ से अस्सी फीसदी बादल छाये रहेंगे. लेकिन बारिश की संभावना नहीं है. दिन में पूरबा हवा चलने की संभावना जतायी जा रही है. किसान अगले तीन दिनों तक अपने खेतों में लगे मक्के की फसल काट सकते हैं.

उमस भरी गर्मी के बीच जीना हुआ मुहाल

इधर चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी के बीच लोगों का जीना मुहाल साबित हो रहा है. इस बीच बिजली की आंख मिचौनी से लोगों की रात की नींद गायब होने लगी है. खासकर अक्सर में रात में बिजली की आंख मिचौनी से लोग परेशान हैं. दिन में लोग किसी तरह जहां तहां जैसे तैसे बीता लेते हैं. लेकिन रात में बिजली के गुल होने के कारण अंधेरे में छतों पर रात काटने को विवश हो जा रहे हैं. इधर विगत एक सप्ताह से बिजली की आंख मिचौनी खासकर रात में अधिक होने से जहां तहां उपभोक्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किया जा रहा है. बावजूद बिजली की लचर व्यवस्था लोग परेशान हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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