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तेज धूप में मखाना की खेती प्रभावित, मजदूर की बढ़ी परेशानी

तेज धूप में मखाना की खेती प्रभावित, मजदूर की बढ़ी परेशानी

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2024 11:59 PM

हसनगंज. प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में मखाना खेती वृहद पैमाने पर किया जाता है. यहां के अधिकतर लोग निचले हिस्से में भूमि रहने से किसान मखना की खेती करते है. क्षेत्र में लगभग 235 हेक्टेयर भूमि पर मखाने की खेती होती है. जो पूरे सूबे में तीसरे स्थान पर है. किसान खेतों में उन्नत किस्म के मखाना पल्ली व पौधा लगाकर समय-समय पर खेतों में पटवन के साथ खाद व दवा का छिड़काव करते हैं. विशेष तौर पर जंगल कमोनी और मुथाई किया जाता है, ताकि फसल अच्छा लगे. कमोनी हो जाने से फसल लगें खेतों की खूबसूरती बढ़ जाती है. लेकिन भीषण गर्मी की वजह से काम करते मजदूरों की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है. पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष मखाने की खेती करने वाले छोटी-बड़ी किसानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. मखाने की खेती करने वाले किसानों को शुरुआती समय में अत्यधिक मेहनत करना पड़ता है. मखाने की खेती करने के लिए सर्वप्रथम अपने खेतों में सिंचाई कर जोत के बाद भूमि समतल कराया जाता है. इसके बाद इसमें छोटे पौधे की रोपनी की जाती है. जिसमें खेतों की गहराई कम से कम पांच फीट से लेकर सात फिट व पानी तीन से पांच फीट से कम नहीं रहना चाहिए. मखाने की अच्छी उपज के लिए किसानों द्वारा खेतों में जैविक खाद एवं बर्मी कंपोस्ट खाद फायदेमंद होती है. इससे किसानों को लाभ पहुंचता है. क्षेत्र के कई किसानों ने बताया कि धान, मक्का व गेहूं की तुलना में मखाना की खेती हम लोगों के लिए अच्छा फायदेमंद हैं. प्रगतिशील किसानों ने कहा कि यदि कृषि विभाग का सहयोग मिलता तो और भी मखाना खेती सोने पर सुहागा साबित होता. क्षेत्र के किसान अब्दुल रज्जाक, किसान सह पूर्व वार्ड सदस्य अब्दुल वाहिद, महेंद्र प्रसाद मंडल, तनवीर हसन, मखदुम अशरफ ने बताया कि अभी के समय के अनुसार मखाना खेती करने में खर्च काफी बढ़ गया है.

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