कुलपति के डांट-फटकार तक सीमट कर रह जाता है मामले में कार्रवाई

छात्र संगठनों ने कहा, कार्रवाई नहीं होने से स्वेच्छाधारी का बढ़ा रहता है मनोबल

By Prabhat Khabar News Desk | June 22, 2024 11:42 PM

कटिहार. केबी झा कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य का इससे पूर्व भी मनमाने निर्णय से कॉलेज प्रबंधन को शर्मशार होना पड़ा है. प्रभारी प्राचार्य के स्वेच्छा निर्णय के बाद कार्रवाई नहीं होने से स्वेच्छाधारी का मनोबल बढ़ा रहता है. दूसरी ओर मनमाने निर्णय से कॉलेज प्रबंधन की भी चर्चा सरेआम हो रही है. ऐसा विवि के अलग-अलग छात्र संगठन के सदस्यों का भी कहना है. उनलोगों की माने तो प्रभारी प्राचार्य का पदभार ग्रहण के बाद अप्रैल 2022 में प्रभारी प्राचार्य रहते हुए स्वेच्छा से दूसरे प्राध्यापक को प्रो इंचार्ज के लिए पत्र जारी किया गया था. खुद प्रभारी प्राचार्य के पद पर रहते हुए प्रो इंचार्ज के लिए उस समय के प्राध्यापक दिलीप जागेश्वर के नाम से पत्र जारी कर दिये जाने की भी बात कुलपति से कही गयी थी. उनलोगों ने अवगत कराया था कि सीएस की नियुक्ति परीक्षा बोर्ड की बैठक में कुलपति के आदेश के निर्देश पर की जाती है. सीएस बदलना या सीएस का प्रभार कुलपति के निर्देश पर ही दिया जा सकता है. मामले में संज्ञान लेते हुए पीयू के तात्कालीन कुलसचिव डॉ रविन्द्रनाथ ओझा ने भी बिना वरीय पदाधिकारियों के निर्देश की अनदेखी बताते हुए मामले को कुलपति से अवगत कराया था. करीब ढाई वर्ष के दौरान 15 जून 2024 को पुन: चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की संविदा पर नियुक्ति को निकाली गयी. निविदा एक बार फिर जी का जंजाल साबित हो रहा है. पीयू के छात्र संगठनों के बीच स्वेच्छाधारी के कृत्य पर क्या और कब कार्रवाई होती है. इसको लेकर कई तरह की बातें की जा रही है. छात्र संगठनों की माने तो निकाली गयी बहाली को निविदा से पूर्व कमेटी बनी या नहीं इस पर भी संशय ही है. बहरहाल जब राज्य सरकार शिक्षा विभाग की ओर से अगस्त 2023 में आउटसोसिंग के तहत एजेंसी चयन कर मानव बल उपलब्ध कराये जाने की बात बता दी गयी थी. उसके बाद भी कर्मियों की नियुक्ति को निविदा निकालना समझ से परे नजर आ रहा है.

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