कोढ़ा. जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में आज भी रोजगार का अभाव है. जिस कारण क्षेत्र के दर्जन गांव में रोजी रोटी की खातिर मजदूरों का पलायन का सिलसिला रुक नहीं रहा है. क्षेत्र के मजदूर रोजगार के अभाव का दंश झेलते झेलते और मजबूर हो गये. हालांकि सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा मजदूरों के हित में बेहतर है. क्षेत्र में सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजना भी चल रहे हैं रोजगार भी मिले हैं. मगर जिस पैमाने पर क्षेत्र में मजदूरों की संख्या है उस अनुपात में रोजगार नहीं है. जिस कारण मजदूर अपने बाल बच्चों की किलकारियां, बहनों का स्नेह, पत्नी का प्यार, और उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंच रोग से ग्रस्त माता पिता गांव की गली दोस्ती रिश्तेदारी के मोह माया की तिलांजलि देकर परदेस रोटी कमाने चले जाते है. सरकार भले ही मजदूरों के उत्थान के लिए कार्य करने का दम भर्ती हो मगर सच्चाई की सर जमीन पर कोई जोरदार बदलाव नहीं हो पाया है. अगर सच्चाई की रोशनी में जाएंगे तो पाएंगे कि मजदूरों की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है. मजदूर शायद आज भी वही खड़ा है. आज भी क्षेत्र में ज्यादातर मेहनतकश मजदूर का वक्त प्रदेशों में ही खून पसीना बहाने में बीतता है. फोन पर अपने बच्चों व परिजनों का हाल समाचार सुनकर वक्त काटते हैं. ऐसे बहुत से मजदूर अपनों में कहीं शादी पर्व त्योहार या फिर लोकसभा, विधानसभा, पंचायत चुनाव में घर आते हैं या फिर किसी खास परिजन की बीमारी की खबर सुनकर घर आते हैं. उनमें से भी कईयों के त्योहार भी प्रदेश में ही करना हो जाता है. देखा जाए तो सरकार गरीबी दूर करने की मंशा से वायदे तो जरूर करती है मगर पलायन की स्थिति देखकर वायदों का खोखला होने की ओर इशारा करता है. गरीबी मिटाने की मुनादी पूरी प्रकार से धरातल पर कारगर नहीं हो पाई है. बहरहाल पलायन को रोकने के लिए सरकार को रोजगार के और अवसर प्रदान करने होंगे.
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