18.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अमदाबाद के विस्थापित परिवारों का किसी ने नहीं ली सुध

अमदाबाद के विस्थापित परिवारों का किसी ने नहीं ली सुध

– सैकड़ों परिवार बांध पर झोपड़ी बनाकर काट रहे जैसे-तैसे जिंदगी मनोज कुमार सिंह, अमदाबाद अमदाबाद प्रखंड में गंगा नदी के कटाव से सैकड़ों परिवार विस्थापित की जिंदगी जीने को मजबूर है. पर विस्थापित परिवारों को बसाने की दिशा में सरकारी स्तर पर ठोस पहल नहीं हो सका है. जिसके कारण वैसे लोगों की जिंदगी जैसे-तैसे गुजर रही है. प्रखंड में करीब दो दशक में आधा दर्जन से अधिक विद्यालय एवं आधा दर्शन से अधिक गांव काटकर गंगा एवं महानंदा नदी में विलीन हो चुका है. सैकड़ों परिवार विस्थापित होकर जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश हैं. दर्जनों बड़े किसान कटाव के कारण मजदूर बनकर रह गये हैं. अन्य लोग दूसरे प्रदेशों में ठोकरे खा रहे हैं. सैकड़ों स्कूली छात्र-छात्रा मुख्य धारा से वंचित होकर दर-दर भटक रहे हैं. लोगों के अनुसार वर्ष 2008 में विधानसभा के उप चुनाव में आदर्श मवि अमदाबाद की खेल मैदान में चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आये थे. यहां के लोगों को आश्वासन दिये थे, इसी तरह वर्ष 2010 के चुनाव में भी चुनाव प्रचार के दौरान अमदाबाद की खेल मैदान में दोबारा आये थे. लोगों को सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए अस्वस्थ किये थे. लोगों की जिंदगी घर से सड़क के किनारे काटने लगी. बच्चें विद्यालय जाते थे. लेकिन वह विद्यालय ही नहीं रही. शिक्षक आज भी विस्थापित होकर दूसरे विद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य संभाल रहे हैं. महानंदा या शंकर बांध पर रह रहे विस्थापित परिवार यहां के लोग कटाव और बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. विस्थापित होकर महानंदा बांध या शंकर बांध पर या फिर किसी सड़क के किनारे जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश हैं. विस्थापित परिवारों के बच्चें शिक्षा से कोसों दूर जा चुके हैं. अब तक सैकड़ों विस्थापित परिवारों का बसाने की पहल तक नहीं की गयी है और ना ही उनका बसोवास के लिए जमीन उपलब्ध कराई गयी है. यहां तक की कुछ लोगों की बसाने के बावजूद भी बासगीत पर्चा या परवाना उपलब्ध नहीं कराई गई है. किशनपुर गांव एक दशक पूर्व गंगा में कटकर समाया प्रखंड के चौकिया पहाड़पुर पंचायत के वार्ड नंबर एक जमुनतल्ला खट्टी किशनपुर गांव एक दशक पूर्व कटकर गंगा नदी के गर्भ में समा चुका है. प्राथमिक विद्यालय खट्टी किशनपुर भी गंगा नदी में विलीन हो गयी है. उपरोक्त गांव के लोग चौकिया पहाड़पुर पंचायत के शंकर बांध पर एवं अन्य स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. दूसरी तरफ विद्यालय भी चौकिया पहाड़पुर पंचायत के रतन टोला गांव में चल रहा था. हाल के दिनों में उसे इसी विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है. पार दियारा के कई गांव गंगा नदी में समाये पार दियारा पंचायत के खट्टी टोला धन्नी टोला, खट्टी गांव, युसूफ टोला कटकर गंगा नदी में समा गयी है. सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गये हैं. यहां के सैकड़ो परिवार अन्य स्थानों पर पलायन कर चुके हैं. जबकि इस पंचायत के प्राथमिक विद्यालय खट्टी पार दियारा एवं उत्क्रमित मध्य विद्यालय धन्नी टोला व प्राथमिक विद्यालय युसूफ टोला एवं प्राथमिक विद्यालय सूबेदार टोला का संचालन मध्य विद्यालय सह उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय कीर्ति टोला पार दियारा में हो रहा है. विद्यालय भी कटाव की भेंट चढ़ा दक्षिणी करीमुल्लापुर पंचायत के नवरसिया गांव भी कटकर गंगा नदी में विलीन हो गया था. मध्य विद्यालय नवरसिया भी गंगा नदी के भेंट चढ़ गई थी. वर्षों बाद गोपालपुर के समीप नवरसिया गांव के विस्थापित लोगों को बसाया गया एवं मध्य विद्यालय नवरसिया का भी निर्माण किया गया है. पंक टोला महानंदा नदी में समा गया महानंदा नदी के जद में आकर पंक टोला गांव भी समा गया है. उत्क्रमित मवि बंकू टोला भी महानंदा नदी में विलीन हो गई है. एक दशक से अधिक समय से उत्क्रमित मध्य विद्यालय बंकू टोला प्राथमिक विद्यालय राजमहल कॉलोनी के एक भवन में संचालित हो रहा है. यहां के लोग विस्थापित होकर समीप वर्ती राज्य पश्चिम बंगाल एवं कुछ अन्य स्थानों पर पलायन कर चुके हैं. विस्थापित परिवार जी रहे जिल्लत भरी जिंदगी लखनपुर पंचायत के दिल्ली दीवानगंज एवं छोटा लखनपुर व बेलगच्छी गांव के बड़ी आबादी कट कर महानंदा नदी में समा गई है. विस्थापित परिवार महानंदा बांध व अन्य स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. दो दशक पूर्व किशनपुर पंचायत के कुकरिया दियारा, गुवागाछी सहित अन्य गांव भी कटकर गंगा नदी में विलीन हो गई है. कुछ गांव को भागेडीह, ढनमनिया, लालबथानी आदि स्थानों पर बसाई गई है. कहते हैं जदयू जिला महासचिव जदयू जिला महासचिव राजू साह ने बताया कि वर्ष 2008 के उप चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अमदाबाद आये थे. अमदाबाद प्रखंड को व्यक्तिगत रूप से गोद लिए थे. मुख्यमंत्री अमदाबाद प्रखंड के विस्थापित एवं कटाव क्षेत्र का भ्रमण करते तो शायद यहां का कटाव रुक जाता और विस्थापितों का दर्द नजदीक से देख पाते. पर ऐसा नहीं हो सका है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें