अब जूट की पत्ती से बनी चाय पियेंगे लोग
आइसीएआर काेलकाता में सात दिनों की ट्रेनिंग से तकदीर संवारने की बना रहे योजना
कटिहार. जिले में जूट की खेती से विमुख हो रहे किसानों को जूट की ओर फिर से रूख करने का एक अनोखा प्रयास कटिहार जिले के सिरसा के दो प्रगतिशील किसानों में पंकज कुमार निराला और रविशंकर श्रवणे ने किया है. आईसीएआर कोलकाता में महज सात दिवसीय ट्रेनिंग के बाद खुद समेत जिले के जूट किसानों की तकदीर संवारने के लिए प्लानिंग कर चाय के सामांतरण लीफ ड्रिंक तैयार किया है. जूट की पत्तियों से तैयार लीफ ड्रिंक से नशा नहीं स्वास्थ्य बेहतर का प्रमाण् आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने दिया है. दूसरी ओर जूट की झड़कर नीचे गिरी पत्तियों से भूमि की उर्वराशक्ति को मजबूत करता है. तीन फलेवर में तैयार जूट की पत्तियों का ड्रिंक से संयुक्त निदेशक पूर्णिया शष्य सह जिला कृषि पदाधिकारी राजेन्द्र कुमार वर्मा व एआइसीआर कोलकाता के वैज्ञानिक डॉ विद्याभूषण शंभू को अवगत कराया है. किसानों ने बताया कि तीनों फ्लेवर में तुलसी, दालचीनी और अदरख के रूप में ड्रिक तैयार किया गया है. इसके पीने से सुगर कंट्रोल, कैंसर को कंट्रोल करने, बुढापे को जल्द आने में रोकता है. ऐसा इसलिए कि इसमें एंटीटाॅक्सीन पाया जाता है. कई तरह के बीमारियों को दूर करने में मदद साबित होता है. सिरसा गांव के दो प्रगतिशील किसानों में रविशंकर श्रवणे, पंकज कुमार निराला ने बताया कि जून माह में सात दिवसीय कोलकाता में दिये गये प्रशिक्षण में बताया गया कि रोस्टिंग मशीन की इसमें अहमियत है. इसी मशीन के माध्यम से पत्ते को सूखाना और चायपत्ती तैयार आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए रोस्टिंग मशीन के मामले में कृषि विभाग के साथ आईसीएआर कोलकाता के वैज्ञानिकाें का निरंतर सहयोग की जरूरत है. इससे अधिक मात्रा में जूट की पत्तियों की चाय बनाकर अन्य किसानों को इससे लाभान्वित किया जा सकता है. पत्ते को तोड़ने को लेकर बताया गया कि 30, 35 और 45 और 85 दिन के तैयार जूट के पत्ते को तोड़कर दो घंटे तक पानी में डूबाकर रखना. उसके बाद छान कर सूती सादे कपड़े पर छांव में सूखाना है. उसके बाद रोस्टिंग मशीन के माध्यम से उसे रोष्ट करने की प्रक्रिया से गुजारने के बाद फ्लेवर मिला कर लीफ ड्रिंक तैयार किया जा सकता है. सुगर व कैंसराेधी होता है जूट की पत्ती कटिहार केविके के जूट वैज्ञानिक डॉ दिवाकर पासवान ने बताया कि जूट की पत्तियां कैंसर रोधक, सुगर पर कंट्रोल करने के साथ बूढ़ापे को जल्द नहीं आने देता है. जूट की पत्ति जो झडकर नीचे गिरता है. इससे जमीन की उर्वराशक्ति को बढ़ता है. जूट के पत्ते में 5.1 प्रतिशत प्रोटीन, विटामिन 35 से 40 एमसीजी एक सौ ग्राम पत्ते में, बीटा क्रॅरिटीन और खनिज से भरपूर होता है. जूट की पत्ति वाले पेय भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं. जो रोग प्रतिरोधक क्षमता डीपीपीएच की क्रिया 95 प्रतिशत टीपीसी पांच सौ एमजी, जीएफआरएपी 2.5 एमजी, जी समेत कई तरह के गुण को बढ़ाने में मदद करता है. जूट की पत्ती वाले पेय के नियमित सेवन से मधुमेय, उक्तरक्चाप और रक्तसर्करा जैसे रोगों को नियंत्रित करने में सहयोगी होता है. पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग तक की होगी व्यवस्था दलन पूरब के दोनों प्रगतिशील किसान हैं. इससे पूर्व इनलोगों ने कोलकाता से प्रशिक्षण लेकर आये और अपने स्तर से इनलोगों ने जूट की लीफ ड्रिंक तैयार किया है. अब लगातार प्रशिक्षण कराकर किसानों को इससे अवगत कराया जायेगा. जूट की खेती जिले में 25 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती होती है. इसका लाभ अवश्य ही किसानों को मिलेगा. तैयार जूट की पत्तियों से बनी ड्रिंक के पैकेजिंग से लेकर बाजार उपलब्ध कराया जायेगा. ताकि किसानों को इसका भरपूर लाभ मिल सकें. राजेन्द्र कुमार वर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है