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katihar news : भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने से मानव शरीर बंधन से हो जाता है मुक्त

संत व उनके अनुयायी भौतिक जगत में जन्म लेने वाले का भुगतना पड़ता है चार कष्ट

कटिहार. जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रेम राय एवं अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्काॅन) द्वारा पहली बार एक दिवसीय आध्यात्मिक सत्संग व हरिनाम संकीर्तन का आयोजन मिरचाईबाड़ी स्थित एक हाेटल में किया गया. इससे पूर्व नगर भ्रमण कराया गया. नगर भ्रमण सहायक थाना के समीप उक्त होटल से जीआरपी चौक, जगरन्नाथ मंदिर, पीएनटी चौक होते हुए हरे राम हरे कृष्ण हरे हरे के धुन पर साथ चल रहे साधु संत महात्माओं व उनके अनुयायियों के साथ आसपास के लोग जमकर थिरके. इससे चहुंओर माहौल भक्तिमय हो गया. इस्कॉन भोपाल के अध्यक्ष डॉ सव्यसाची दास ने भागवत गीता पर आधारित आत्मसाक्षात्कार का विज्ञान पर प्रवचन देते हुए कहा कि भावगत गीता एवं समस्या वैदिक ग्रंथों में मनुष्य जीवन को अन्य सभी योनियों की तुलना में दुर्लभ एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया गया है. ऐसा इसलिए कि मनुष्य जीवन में ही जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त हो सकती है. भौतिक जगत में जो भी जन्म लेता है. उसे ये चार कष्ट भुगतने ही पड़ते हैं. जन्म, मृत्यु, जरा, व्याधि, विज्ञान की प्रगति भी इन कष्टों को समाप्त कर पाने में अक्षम रही है. कारण यह है कि सृष्टिकर्ता, भगवान श्री कृष्ण ने इस जगत को दुःख एवं अनित्यता का स्थान बताया है. क्योंकि हर भौतिक वस्तु अनित्य है. उनका कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण हमें बताते हैं कि वास्तव में हम शरीर नहीं हैं. वरन् आत्मा हैं जो अजन्मा एवं अमर है. शरीर बंधन के कारण ही हमें जन्म मृत्यु इत्यादि कलेश भुगतना पड़ता है. भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने से वे हमें इस शरीर बंधन से मुक्ति मिल जाती है. इसलिए भगवद गीता का परम संदेश है. भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाना. मौके पर नेपाल इस्कॉन के ललित माधव दास, लीलाधर दास, अनंत रूप दास, नाम उपासक प्रभुपाद दास, रुपाणु प्रभु मन: शिक्षा प्रभु मौजूद रहे. कार्यक्रम को सफल बनाने में विक्कू सिंह, उज्जवल धर, प्रहलाद कुमार, दीपक कुमार शर्मा, तथागत मुखर्जी, सुमन शर्मा सहित अन्य लोगों ने अहम भूमिका रही.

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