खुला स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन कल
सरकारी ब्लड सेंटरों में मनाया जायेगा विश्व थैलेसीमिया दिवस
स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार के बिहार राज्य रक्ताधान परिषद, पटना के तत्वावधान में आगामी आठ मई को सूबे के 38 जिलों के सरकारी ब्लड सेंटरों में विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जायेगा. इस अवसर पर ब्लड सेंटर सदर अस्पताल में जिले के विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं, कॉलेज, सरकारी व निजी बैंकों, सरकारी संस्थानों के लिए आठ मई को सुबह 10 बजे से खुला स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जायेगा. इसमें कोई भी संस्थान भाग ले सकता है. विश्व थैलेसीमिया दिवस के दिन खुला स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में भाग लेने वाले इच्छुक संस्थानों को एक अनुरोध पत्र, जो सिविल सर्जन कटिहार के नाम से होगा. इस पत्र को ब्लड सेन्टर, सदर अस्पताल कटिहार के कार्यालय में मंगलवार शाम पांच बजे तक स्वयं जमा कर देना है या ब्लड सेन्टर, सदर अस्पताल कटिहार के shkatbb1@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं. इस संबंध में ब्लड सेन्टर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आर सुमन ने बताया कि थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है. इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में बाधित होती है. जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं. इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है. इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है. जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है. सरकारी ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध रहने पर थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को मुफ्त ब्लड दिया जाता है. कटिहार में 70 से अधिक बच्चे थैलेसीमिया से हैं पीड़ित कटिहार जिले में 70 से अधिक बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित है. ऐसे बच्चों को महीने में काम से कम एक यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है. जबकि कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें महीने में कम से कम दो यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है. उन्हें दिया जाता है. इस संबंध में डीपीएम (डेप्कू) शौनिक प्रकाश ने बताया कि ब्लड सेन्टर, सदर अस्पताल कटिहार से जिले के 70 से अधिक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे पंजीकृत हैं. जिन्हें प्रत्येक महीने ब्लड दिया जाना है और ये तभी संभव है जब जिले के विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं, कॉलेज, सरकारी व निजी बैंकों, सरकारी संस्थान द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन निरंतर किया जाय. इसके लिए सभी को आगे आने की जरूरत है. ताकि ऐसे बच्चों की जिंदगी को बचाया जा सके.
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