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पर्यावरण संतुलन व मिट्टी संरक्षण के लिए कारगर है जैविक पद्धति

पर्यावरण संतुलन व मिट्टी संरक्षण के लिए कारगर है जैविक पद्धति

कटिहार. विपरीत परिस्थितियों में सिरसा कुशवाहा टोला के किसान सुरेंद्र सिंह बायोगैस प्लांट वर्मी कंपोस्ट के साथ चुकंदर की पूर्ण जैविक खेती कर पर्यावरण को संतुलित करने का संदेश दे रहे हैं. पूर्ण जैविक रूप से बीट की खेती जीरो बजट से कर तीन गुना आमदनी कर समृद्ध हो रहे हैं. दूसरों को जैविक विधि से खेती करने को लेकर प्रेरित कर रहे हैं. मालूम हो कि सिरसा में जैविक कॉरिडोर के तहत 100 किसानों में गिने-चुने किसानों में अनिल सिंह, रविशंकर श्रवणे, चंदन सिंह, नागेंद्र सिंह, रामनाथ सिंह जैविक खेती की और रुख अख्तियार कर बाजार के अभाव में भी अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. किसानों का कहना है कि कृषि विभाग द्वारा समुचित रूप से अनुदान की सुविधा मिलने पर वातावरण को पूरी तरह से स्वच्छ व शुद्ध करने की दिशा में भूमिका अहम हो सकती है. किसान रविशंकर श्रवणे, अनिल सिंह, चंदन सिंह समेत अन्य की माने तो 2011-12 में जिले के करीब 700 किसानों को एक साथ वर्मी कंपोस्ट के लिए अनुदान के रूप में 30 हजार रुपए दिए गये थे. देखरेख के अभाव में गिने-चुने किसान इस पद्धति को बचाने का प्रयास भर कर रहे हैं. सिरसा कुशवाहा टोला के किसान सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में खुद के खर्च व मेहनत से मिनी बायोगैस प्लांट लगाया हैं. इसे अपने परिवार का दोनों समय का खाना आसानी से बन जाने से ईंधन के मद में होने वाली खर्चे से बचाव हो पता है. इससे निकलने वाली मिथेन गैस रहित गोबर को जैविक खेती के रूप में इस्तेमाल कर पैदावार को बढ़ावा देते हैं.

पूर्ण जैविक पद्धति से पांच कट्ठा में चुकंदर की खेती

उनकी माने तो सिरसा कुशवाहा टोला समेत आसपास के क्षेत्र में उनके द्वारा एकमात्र पूर्ण रूप से जैविक पद्धति से बीट चुकंदर की खेती लगातार कर रहे हैं. इस वर्ष पांच कट्ठा में जीरो बजट में तैयार खेत से करीब तीन क्विंटल चुकंदर से तिगुनी आमदनी प्राप्त हुई है. जैविक पद्धति से की गई खेत में दो किलो से अधिक बीट तैयार कराना आसान है. उन्होंने अन्य किसानों को जैविक पद्धति से खेती करने को प्रेरित किया है.

कहते हैं सहायक निदेशक

किसानों को किसानी के लिए कृषि विभाग की ओर से कई तरह के अनुदान दिए जाने का प्रावधान है. वर्मी कंपोस्ट उद्यान से हटा दिया गया है. नई-नई स्कीम के तहत इस वर्ष कई उद्यानिक फसल को शामिल किया गया. इससे किसान को बल व लाभ मिलेगा.

ओमप्रकाश मिश्र, सहायक निदेशक उद्यानB

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