सदर अस्पताल में दवा काउंटर की कमी से मरीजों को उठानी पड़ रही परेशानी
रोजाना 700 से 800 मरीज ओपीडी में आते है इलाज के लिए
कटिहार. सदर अस्पताल के नया भवन बनने के बाद अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीजों की संख्या पहले की अपेक्षा काफी बढ़ी है. वर्तमान की बात करें तो सदर अस्पताल में इन दिनों रोजाना 700 से 800 के एवरेज में मरीज रोजाना ओपीडी में अपना इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं. अस्पताल में मिलने वाली सेवा और उनकी भव्यता को देखकर यहां तक की ग्रामीण क्षेत्र के लोग जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपना इलाज न करने के बजाय वह सदर अस्पताल का रुख ले रहे हैं. जिस कारण से इन दिनों अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. लेकिन इस बढ़ते मरीज के बीच खास करके दवाई काउंटर पर रोज महाभारत की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. 100 बेड के नये भवन में जहां जनरल मरीजों की ओपीडी चलती है. वहां पर अत्यधिक मरीज पहुंचते है. मरीज को दवाई लिखने के बाद जब मरीज दवाई काउंटर पर पहुंचते हैं तो वहां पर मरीजों को लंबी चौड़ी लाइनों में लगकर दवाई लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मरीजों की संख्या तो बढ़ी है. लेकिन उस हिसाब से दवाई काउंटर को नहीं बढ़ाया गया है. वर्तमान में अभी मात्र दो दवाई काउंटर के भरोसे ही मरीजों का दवाई वितरण हो रहा है. जिस कारण से मरीज को समय पर दवाई निर्गत नहीं हो पाती है. सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर के 2:00 बजे ओपीडी दवाई काउंटर खुली रहती है. उनके बाद लंच के बाद फिर संध्या 4:00 बजे से लेकर शाम के 6:00 बजे तक ओपीडी का संचालन तथा दवाई काउंटर खुला रहता है. लेकिन उनके डॉक्टर तो अपने निर्धारित समय तक ओपीडी में मरीजों को सेवा देते हैं. लेकिन वही जब निर्धारित समय पर दवाई काउंटर बंद होता है तो मरीजों की लंबी चौड़ी लाइन बिना दवाई लिए हुए उन्हें वापस घर जाने के लिए भी विवश होना पड़ता है. इससे मरीजों में इस बात को लेकर काफी आक्रोश है. रोजाना बिना दवाई लिए वापस लौट रहे हैं कई मरीज
ऐसे तो दवाई काउंटर का खुलने और बंद करने का समय निर्धारित है. लेकिन इसके बावजूद भी मरीज की संख्या को देखने के बाद दवाई काउंटर पर कर्मी 15 मिनट आधा घंटा ऊपर अपनी सेवा देते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी यह समय मरीजों के लिए काफी नहीं होता है. सुबह 9:00 से लेकर दोपहर के 2:00 बजे तक ओपीडी का संचालन होने पर दूर दराज से आने वाले मरीज जब अस्पताल पहुंचते हैं तो उन्हें दवाई लेने के लिए फिर लंच के बाद दवाई काउंटर खुलने का इंतजार करना पड़ता है. चूकि डॉक्टर द्वारा दवाई तो लिखी जाती है. लेकिन दवाई काउंटर पर इतनी भीड़ रहती है कि निर्धारित समय तक मरीजों का नंबर ही नहीं आ पाता है. दूसरी तरफ मरीज को दवाई देना और दवाई कैसे सेवन करना है. इसके बारे में बताना इस सभी में एक मरीज में काफी वक्त लग जाता है. ऐसे में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज को जब लाइन में खड़े रहते हैं और समय पर काउंटर बंद हो जाता है तो मरीज और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच तू-तू, मैं-मैं की स्थिति बन जाती है. विवाद भी होता है. दवाई काउंटर के अभाव में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज को बिना दवाई के ही घर वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ता है.कहते हैं अस्पताल मैनेजर
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