भाव्या एप्लीकेशन से मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ
भाव्या एप्लीकेशन पर मरीजों का इलाज सदर अस्पताल में जरूर शुरू कर दी गयी है. पर अभी भी इसका पूरा लाभ लेने के लिए मरीजों को काफी देर तक खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है.
कटिहार. भाव्या एप्लीकेशन पर मरीजों का इलाज सदर अस्पताल में जरूर शुरू कर दी गयी है. पर अभी भी इसका पूरा लाभ लेने के लिए मरीजों को काफी देर तक खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है. इस एप्लीकेशन पर इलाज होने से सदर अस्पताल में अपना इलाज कराने आने वाले मरीजों की भी परेशानी बढ़ गयी है. दरअसल सिविल लाइट काटने के बाद दवाई काउंटर पर जहां ऑनलाइन मरीजों को पर्ची मिलनी है. प्रिंटर नहीं चलने से मरीज को घंटे लाइन में इंतजार करने के लिए विवश होना पड़ता है. एक तरफ जहां सदर अस्पताल की अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, जांच यह सभी सेवा सिविल लाइट कटने पर थप पर जा रही है. दूसरी तरफ मरीज को ऑनलाइन रजिस्टर्ड होकर दवाई के लिए घंटे इंतजार करना पड़ता है. दरअसल भाव्या एप्लीकेशन पर मरीज को रजिस्ट्रेशन काउंटर पर एक टोकन नंबर दिया जाता है. सभी कार्य ऑनलाइन ही होते हैं. एप्लीकेशन पर ही डॉक्टर मरीज को देखने के बाद सिस्टम पर ही उन्हें दवाई लिखते हैं. यदि कोई जांच भी हो तो उन्हे सिर्फ टोकन नंबर जांच काउंटर पर बोलना पड़ता है. मरीज का सैंपल लिया जाता है और ऑनलाइन ही उनकी एंट्री और जांच के सारी रिपोर्ट ऑनलाइन ही दर्ज होती है. अंत में जहां पर मरीज को दवाई काउंटर पर दवाई लेनी होती है. वहां पर उन्हें पर्ची प्रिंट निकालकर दी जाती है. मरीज को दवाई निर्गत करायी जाती है. सीधा उदाहरण यह है कि मरीज को जहां पर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पहले पर्ची मिल जाती थी. अब उन्हें सीधे आखिरी स्टेप दवाई काउंटर पर पर्ची मुहैया कराया जाता है. इस बीच सिर्फ टोकन नंबर मरीज को सभी जगह यूज करना पड़ता है. लेकिन आलम यह है कि इस एप्लीकेशन पर मरीजों का उपचार तो शुरू कर दिया गया है. लेकिन अंतिम में जहां पर मरीजों को दवाई काउंटर पर पर्ची निकाल कर मरीज को देना होता है. वह काम नहीं हो पा रहा है. सिविल लाइट कटने के बाद प्रिंटर के सारे कार्य थप पर जाते हैं. जिस कारण से मरीजों को सिविल लाइट आने का इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में यदि सिविल लाइट दो घंटे तीन घंटे तक नहीं आती है तो ऐसे में मरीजों को ना तो दवाई मिल पाती है और ना ही उनकी पर्ची, उस समय मरीजों को बस सिविल लाइट आने का इंतजार करना पड़ता है.
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