जिला परिषद: हाइकोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुई सियासी सुगबुगाहट
जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद कटिहार में सियासी सरगर्मी फिर तेज
प्रतिनिधि, कटिहार. जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर होने वाली विशेष बैठक के मामले में पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद कटिहार में सियासी सरगर्मी फिर तेज हो गयी है. उल्लेखनीय है कि गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह कहा है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के तहत जिप के अध्यक्ष या उपाध्याय के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लागू करने के लिए बैठक में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता है. सिवान की जिप सदस्य संगीता देवी व अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर एलपीए (अपील) पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया. याचिकाकर्ताओं में कटिहार जिले के सिकोड़ना निवासी व जिप सदस्य नसीरुद्दीन उर्फ कालू सहित कटिहार के कई जिप सदस्य शामिल है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कटिहार जिला में भी जिप सदस्यों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी है. बल्कि प्रशासनिक व राजनीतिक महकमों में भी इस तरह की चर्चा जोर पकड़ने लगी है. माना जा रहा है कि उच्च न्यायालय की इस आदेश के बाद कटिहार के जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी पर भी तलवार लटकने लगी है. सूत्रों के मुताबिक, एक-दो दिन के भीतर जिप के कुछ सदस्य डीएम से मिलकर उच्च न्यायालय की ओर से दिये गये फैसले से उन्हें अवगत करायेंगे व जिप की विशेष बैठक बुलाने के लिए आग्रह करेंगे. गौरतलब है कि पांच जनवरी 2024 को कटिहार के जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध विक्षुब्ध जिप सदस्यों ने कई आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया था. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा व वोटिंग के लिए तत्कालीन डीएम रवि प्रकाश की अध्यक्षता में विशेष बैठक आहूत की गयी थी. इस बैठक में कुल 33 में से 16 सदस्य ही शामिल हुए थे. बैठक में आधे से कम सदस्य होने की वजह से अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया. इसी के विरुद्ध जिप सदस्य नसीरुद्दीन व अन्य सदस्यों की ओर से पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. विशेष बैठक में यह 16 सदस्य हुए थे शामिल. विशेष बैठक में जिन सदस्यों ने भागीदारी दी थी. उनमें जिप अध्यक्ष रश्मि सिंह, उपाध्यक्ष इशरत प्रवीण, वंदना कुमारी, शबाना प्रवीण, अंजुम आरा, शाहिद अख्तर, मुकेश कुमार, आशा सुमन, नसीरूद्दीन, मुदस्सीर नजर, निजामुद्दीन, मसुदा खातुन, अब्दुस सलाम, मनव्बर आलम, सैदुन निशा, निर्मला कुमारी शामिल थे. जिप की इस विशेष बैठक की अध्यक्षता कर रहे तत्कालीन डीएम रवि प्रकाश ने बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि जिप के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आहूत विशेष बैठक में जिप के 33 सदस्य में से 16 सदस्य ही शामिल हुए. राज्य निर्वाचन आयोग की दिशा निर्देश के आलोक में कुल सदस्यों में से आधे से अधिक सदस्य के शामिल होने पर मत विभाजन की स्थिति बनती थी, लेकिन इस बैठक में आधे से कम सदस्य शामिल हुए. इसलिए मत विभाजन नहीं हुआ तथा जिप के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. इन सदस्यों ने लगाया था अविश्वास प्रस्ताव. जिप अध्यक्ष रश्मि सिंह पर जिन जिप सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लगाया गया था. उनमें जिप सदस्य नसीरुद्दीन, मुकेश कुमार, नजमुल हक, शाहिद अख्तर, शबाना प्रवीन, निर्मला कुमारी सैदुन निशा, आशा सुमन शामिल है. जबकि जिप उपाध्यक्ष इशरत प्रवीण पर जिप सदस्य मुकेश कुमार, निजामुद्दीन, नजमुल हक, शाहिद अख्तर, अंजुम आरा, वंदना कुमारी, शबाना प्रवीन, निर्मला कुमारी सैदुन निशा आदि ने अविश्वास प्रस्ताव लगाया था. पटना उच्च न्यायालय का फैसला. पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले से यह कहा है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के तहत जिप के अध्यक्ष या उपाध्याय के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लागू करने के लिए बैठक में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता है न कि जिप के कुल निर्वाचित सदस्यों के बहुमत की. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन, न्यायाधीश आशुतोष कुमार, न्यायाधीश हरीश कुमार की पूर्ण पीठ ने संगीता देवी व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर एलपीए (अपील) पर सुनवाई करते हुए यह फ़ैसला सुनाया है. कहते है जिप सदस्य याचिकाकर्ता व कदवा प्रखंड के सिकोड़ना निवासी व जिप सदस्य नसीरुद्दीन उर्फ कालू ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि पटना उच्च न्यायालय का फैसला स्वागतयोग्य है. जल्द ही डीएम से मिलकर पटना उच्च न्यायालय के फैसले से उन्हें अवगत कराया जायेगा तथा विशेष बैठक बुलाने के लिए आग्रह किया जायेगा.
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