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प्रभात खास, पुस्तकाध्यक्षों की कमी से बेजार हो रहा महाविद्यालय में पुस्तकालय

प्रभात खास, पुस्तकाध्यक्षों की कमी से बेजार हो रहा महाविद्यालय में पुस्तकालय

– सिलेबस विहीन हजारों पुस्तक छात्रों को नहीं आ रही काम – अंगीभूत महाविद्यालय में कहीं प्रभारी तो कहीं शिक्षक से चल रहा जैसे- तैसे काम – 13 वर्षों से डीएस कॉलेज में प्रभारी पुस्तकाध्यक्ष के सहारे हो रहा कार्य – देखरेख के अभाव में दीमक चाट रही पुस्तक सरोज कुमार, कटिहार सरकार पंचायतों में अब लाइब्रेरी खुलवाने का मन बना रही है. इसको लेकर तैयारी युद्धस्तर पर करने को अपने प्रगति यात्रा के दौरान कई जगहों पर आदेश दिया जा चुका है. इसके विपरीत उच्च शिक्षण संस्थानों की लाइब्रेरी लाइब्रेरियन के अभाव में बेजार हो रही है. कहा जाता है कि किसी भी संस्थान का पुस्तकालय में कार्यरत पुस्तकाध्यक्ष आत्मा का काम करता है. बिना पुस्तकाध्यक्ष का पुस्तकालय औचित्यविहीन हो जाता है. जिले के चारों अंगीभूत महाविद्यालयों में डीएस कॉलेज, केबी झा कॉलेज, आरडीएस कॉलेज सालमारी एवं एमजेएम महिला कॉलेज पुस्तकाध्यक्षों का घोर अभाव है. जिस वजह से पुस्तकालय में सही तरीके से पुस्तकों की लेनदेन नहीं होने से जहां छात्र आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं. दूसरी ओर कई कॉलेजाें में हजारों पुस्तकों में दीमक लग रही है. विडंबना है कि कई कॉलेजों में आउटसोसिंग, प्रभारी तो कई महाविद्यालयों में शिक्षक के सहारे पुस्तकालय का संचालन हो रहा है. डीएस कॉलेज पूवोत्तर बिहार का नामी गिरामी है. बावजूद यहां करीब पच्चीस वर्ष पूर्व पुस्तकाध्यक्ष के बाद पुस्तकालय पिछले करीब बारह वर्षों से प्रभारी पुस्तकाध्यक्ष के सहारे ही काम कर रहा है. सही देखरेख के अभाव में 42 हजार में करीब दस हजार पुस्तकाें को दीमक चाट गयी है. वाचनालय की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्र किताब के रहने के बाद भी वैरंग लौट जा रहे हैं. 1999 में बीएनमएयू के तत्कालीन कुलपति डॉ आरके चौधरी ने डीएस कॉलेज पुस्तकालय का न्यू ब्लिडिंग का उदघाटन किया गया था. स्थिति अब इस तरह हो गयी है कि कभी भी धाराशायी हो सकती है. बावजूद कॉलेज प्रबंधन उदासीन रवैया अपनाये हुए है. सिलेबस विहीन पुस्तक को पढ़ने से नकार रहे छात्र ———————————————————– डीएस कॉलेज के प्रभारी पुस्तकाध्यक्ष शंभू कुमार यादव की माने तो विवि द्वारा पिछले वर्ष 2023-27 से सीबीसीएस पैर्टन पर महाविद्यालयों में नामांकन से लेकर पढाई तक का आदेश दिया गया है. तीन सेमेस्टर की परीक्षा हो चुकी है. सिलेबश विहीन पुस्तकों को पढने से छात्र नकार रहे हैं. मालूम हो कि 2013 के बाद पुस्तकों की क्रय नहीं की गयी है. अब तक डीएस कॉलेज के पुस्तकालय में 42 हजार के करीब पुस्तक है. इसमें से करीब आठ से दस हजार खराब हो चुकी है. कॉलेज प्रबंधन को जर्जर भवन व सिलेबश को लेकर शिकायत की गयी है. अब तक इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. 2008 के बाद से नहीं हुई पुस्तकाध्यक्ष की नियुक्ति ——————————————————- अभाविप के प्रांत सह मंत्री विनय कुमार सिंह का कहना है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पुस्तकाध्यक्षों की घोर कमी है. अधिकांश महाविद्यालय में पुस्तकाध्यक्ष मृतप्राय के कगार पर है. विडम्बना है कि 2008 के बाद पुस्तकाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं होने से पूरे सूबे में लाखों व केवल कटिहार में करीब पांच से दस हजार की संख्या में प्रतिवर्ष डिग्री प्राप्त कर यत्र तत्र भटकने को विवश हो रहे हैं. जरूरत है महाविद्यालय, विवि स्तर से पुस्तकालयों में स्थायी पुस्तकाध्यक्ष नियुक्ति करने की. इससे महाविद्यालय में छात्र- छात्राओं की संख्या निसंदेह बढ़ेगी. विवि को पूर्व में भी कराया गया अवगत ——————————————— पुस्तकाध्यक्ष समेत कर्मियों की भारी कमी है. पुस्तकालय निर्माण को लेकर रूसा को प्रोजेक्ट तैयार कर भेजी गयी थी. पुस्तकाध्यक्ष को लेकर जहां पूर्व में विवि को अवगत कराया गया है. जर्जर भवन को लेकर भी सूचना कई बार विवि पूर्व में भी भेजी जा चुकी है. प्रभारी पुस्तकाध्यक्ष के सहारे पुस्तकों की लेनदेन छात्रों के बीच कराया जाता है. डॉ संजय कुमार सिंह, प्राचार्य, डीएस कॉलेज, कटिहार

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