प्रखंड क्षेत्र में मुहर्रम की तैयारी परवान पर
प्रखंड क्षेत्र में मुहर्रम की तैयारी परवान पर
कोढ़ा. प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न मुस्लिम बाहुल्य गांव में इमामबाड़ों को सजाने संवारने की तैयारी जहां जोरों पर है. वहीं कई इमामबाड़ों पर लाठी तलवार बल्लम आदि के कर्तब दिखाने व भांजने का अभ्यास जारी है. रविवार को क्षेत्र के तकरीबन सभी इमामबाड़ों पर निशान से सजा दिया गया है और कई इमामबाड़ों पर ताजिया निर्माण का कार्य संपूर्ण की स्थिति में पहुंच गया है. इस बाबत मुहर्रम की तारीख पर मौलाना रिजवान अहमद कासमी ने रोशनी डालते हुए कहा कि जहां मोहर्रम माह में मुस्लिम नया साल शुरू होता है. वहीं मुहर्रम के दसवीं तारीख को कई बड़े-बड़े कारनामे हुए हैं. मोहर्रम की दसवीं तारीख बहुत से तारीख वाक्यातों से भरा हुआ है जिनमें से कभी ना भूलने वाली वाक्या शहादते हुसैन से है. हजरत इमाम हुसैन रज़ी के शहादत से पहले उनके नज़रों के सामने जालिमों ने आपके भाइयों बेटों व हम राहियों को एक-एक कर शहीद कर दिया और हजरत इमाम हुसैन रजी अकेले रह गए थे. आपके सबसे बीमार व छोटे लड़के जैनुल आब्दीन चंद औरतें खेमे में रह गयी थी. परंतु हजरत इमाम हुसैन रजी ने अकेले ही जिस बहादुर के साथ दुश्मनों पर जवाबी हमला किया उनको देखने वाला कोई साथी नहीं था. हजरत इमाम हुसैन के बदन पर तीर के 45 जख्म थे, बावजूद इसके आप दुश्मनों से बड़ी दिलेरी के साथ मुकाबला किए थे. इस प्रकार वे दुश्मनों से लड़ते-लड़ते बड़ी बहादुरी के साथ शहीद हो गए उनके रूह परवाज कर गयी. बहरहाल हजरत इमाम हुसैन ने हक और सच्चाई के खातिर अपने और अपने साथियों के साथ कुर्बान हो गये. लेकिन कातिल के सामने अपना सर नहीं झुकाया इसलिए बाती पर हक की जीत के तौर पर मुसलमान इस महीने को याद करते हैं. कुल मिलाकर मुस्लिम बाहुल गांव में मोहर्रम की तैयारी परवान पर है. जबकि उर्दू की नौवीं, दसवीं या दसवीं तथा 11वीं तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोग खासकर मां बहने रोजा रखते हैं.
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