हसनगंज. प्रखंड क्षेत्र में धान की खेती वृहद पैमाने पर किया गया है. धान की कई किस्मों की फसल में आयी गलवा नामक बीमारी ने किसानों को परेशान करके रख दिया है. धान फसल में गलवा नामक बीमारी से कई किसानों की फसल खराब होने लगी है. धान की फसल को बीमारी से बचाने के लिए आए दिन कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किसानों को करना पड़ रहा है. कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी इन बीमारियों पर बेअसर साबित हो रहा है. किसान श्रीलाल उरांव, कलाम मियां, प्रमोद यादव, अब्दुल वाहिद, महेंद्र प्रसाद मंडल, शीतल प्रसाद साह, अबुल हसन, सफीक, मोहिउद्दीन, रियाज आदि ने बताया कि मौसम के उतार-चढ़ाव के चलते इनदिनों धान की फसल में गलवा नमक रोग लग रहा है. धान में आयी बीमारी के चलते इसके पौधे नीचे से पीला होने के बाद ऊपर से सुखने लग जाते हैं. साथ ही देखते ही देखते कुछ दिन बाद बीमारी लगा पौधा इस बीमारी के कारण नष्ट होकर गिर जाता है. किसानों ने बताया गलवा नामक बीमारी के कारण पौधे की जड़ में लगी रोग से पौधा नीचे से शुरू होकर ऊपर तक सूख जाता है. उन्होंने बताया कि इन बीमारियों की रोकथाम के लिए उन्होंने महंगी से महंगी कीटनाशक दवा के स्प्रे भी करवा लिए है. इसके बाद भी धान की फसल में आयी इन बीमारियों की रोकथाम नहीं हुई है. इस संदर्भ में कृषि वैज्ञानिक पंकज कुमार ने कहा कि शिथ ब्लाइट रोग जैसा है. जिसमें वैलिडामाइसीन दो एमएल दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर कम से कम 10 से 12 दोनों में आवश्यक किसान अपने अपने धान फसल में छिड़काव करें. उन्होंने प्रखंड के किसानों से अपील करते हुए कहा कि उचित फसल चक्र का पालन करें. ताकि इस तरह के रोग से फसल का बचाव होगा.
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