शहद उत्पादन कर परिवार का भविष्य संवार रहे हैं रामू
शहद उत्पादन कर परिवार का भविष्य संवार रहे हैं रामू
– मधुमक्खी पालन कर आत्मनिर्भर हो रहे व्यवसाय में उठन्नी खर्च व रुपया की आमदनी विजय गुप्ता, हसनगंज मधुमक्खी पालन का गणित मधु की तरह मिठास भरा है. मधुमक्खी पालन में ना ही कोई परेशानी है और ना ही ज्यादा मेहनत. हसनगंज प्रखंड क्षेत्र में बनमनखी से आये युवा मधुमक्खी पालन कर रहे हैं. मधुमक्खी पालनकर परिवार की जिंदगी संवार रहे हैं. मधुमक्खी पालक रामू मंडल की सफलता की कहानी न केवल हसनगंज प्रखंड में बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है. उनकी मेहनत और सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सही दिशा और प्रयास से कोई भी व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है. मधुमक्खी पालन कर रहे रामू मंडल प्रत्येक वर्ष लाखों का शहद बेचते हैं. पूर्णिया जिले के रहने वाले युवा किसान रामू मंडल प्रशिक्षण और अनुभव के आधार पर जिले के हसनगंज प्रखंड में मधुमक्खी पालन का बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया है. वर्तमान में उनके पास 350 मधुमक्खी के डिब्बे है. जिसकी कुल लागत लगभग चार लाख रुपये है. मधुमक्खी पालन कर किस्मत संवार रहे हसनगंज प्रखंड क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के माध्यम से स्वरोजगार की एक मिसाल कायम हो रही है. पूर्णिया जिले के रहने वाले रामू मंडल ने अपनी मेहनत और लगन से यहां मधुमक्खी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाया है और सफलता की नई कहानी लिखे हैं. अठन्नी खर्चा, रुपया आमदनी युवा किसान बताते हैं कि इन डिब्बों से तैयार होने वाले शहद को बाजार में बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है. शहद बाजार में आसानी से बिक जाता है. शहद बाजार में बेचने के बाद उन्हें हर सीजन में दो से ढाई लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. मधुमक्खी पालन के इस व्यवसाय से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. बल्कि अन्य युवाओं को भी प्रेरणा मिली है. युवाओं से मधुमक्खी पालन क्षेत्र में आने की अपील रामू का कहना है कि मधुमक्खी पालन एक कम लागत और अधिक मुनाफे वाला व्यवसाय है. जिसे कोई भी व्यक्ति सीखकर शुरु कर सकता है. उन्होंने अन्य युवाओं से भी आह्वान किया है कि वे स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ायें और मधुमक्खी पालन जैसे व्यवसाय में शामिल होकर आत्मनिर्भर बने. सरसों में फूल ज्यादा होने के कारण शहद ज्यादा होने की उम्मीद उन्होंने कहा हमारे गांव में पहले सूर्यमुखी की खेती होती थी. जहां बंगाल से मधुमक्खी पालक मधुमक्खी के डिब्बे लेकर गांव पहुंचते थे. गांव में मधुमक्खी पालन करते देखा तो मन में मधुमक्खी पालन की लालसा जाग उठी. सोचा कि मधुमक्खी पालन कर अपनी जिंदगी को संवार सकते हैं. विभाग से जुड़कर जानकारी प्राप्त कर विभाग से प्रशिक्षण भी लिया. प्रशिक्षण और अनुभव के आधार पर अब कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड में मधुमक्खी पालन का बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया है. हसनगंज में ही मधुमक्खी पालन का प्रोजेक्ट तैयार करने का मकसद यह था कि यहां बागवानी एवं सरसों की खेती भारी पैमाने पर होती है. सरसों में फूल ज्यादा होने के कारण शहद ज्यादा होने की उम्मीद है.वर्तमान में उनके पास 350 मधुमक्खी के डिब्बे हैं. लागत लगभग चार लाख रुपये है. रामू मंडल को मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में पुरस्कृत भी किए गए हैं. इस वर्ष उन्हें अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.
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